HI/Prabhupada 0118 - प्रचार का काम बहुत मुश्किल बात नहीं है



Lecture on SB 1.5.8-9 -- New Vrindaban, May 24, 1969

जो कृष्ण या भगवान को समर्पित है, वह बहुत भाग्यशाली है। बहुनाम् जन्मनाम् अन्ते ज्ञानवान् माम् प्रपद्यते (भ गी ७.१९)। जिसने समर्पण किया वह आम आदमी नहीं है। वह सभी विद्वानों, सभी दार्शनिकों, सभी योगियों, सभी कर्मियों से बडा है। सर्वोच्च आदमी, जिसने समर्पण किया है । इसलिए यह बहुत गोपनीय है। तो हमारा शिक्षण, कृष्ण भावनामृत आंदोलन, भगवद गीता यथार्थ रूप में पेश करना है, लोगों को पढ़ाने की एक प्रक्रिया है कि कैसे कृष्ण, या भगवान को आत्मसमर्पण करना चाहिए। इसलिए कृष्ण कहते हैं कि यह एक गोपनीय है ... कोई भी स्वीकार नहीं करेंगा।

लेकिन जो एक जोखिम लेता है, "कृपया, आत्मसमर्पण ..." तो जब तुम प्रचार करने के लिए जाते हो, तुम्हे पता है कि प्रचारकों पर कभी कभी हमला होता है। जैसे नित्यानंद प्रभु पर जगाई-मधाई नें हमला किया था। और प्रभु ईशु मसीह को क्रोस पर चढ़ाया गया था, मार डाला ... तो एक उपदेशक जोखिम मे है। इसलिए कृष्ण कहते हैं, "ये जो श्रमिक भगवद गीता का उपदेश देने में लगे हुए हैं, वे मुझे बहुत, बहुत प्रिय हैं। मुझे बहुत, बहुत प्रिय है। "न च तस्मान मनुष्येशु कश्चिन् मे प्रिय कृत्तम: (भ गी १८.६९)। "इस व्यक्ति की तुलना में मुझे कोई भी प्रिय नहीं है जो लोगों को यह गोपनीय सत्य का उपदेश देता है।"

तो इसलिए अगर हमें कृष्ण को खुश करना है, हमें यह जोखिम लेना होगा। कृष्ण, गुरु। मेरा आध्यात्मिक गुरु नें यह जोखिम लिया, प्रचार का काम, और उन्होंने हमें भी प्रेरित किया इस प्रचार के काम को करने के लिए। और हम भी आप से याचना कर रहे हैं यह प्रचार का काम करने के लिए । तो यह प्रचार का काम, तथापि, मेरे कहने का मतलब है, मेरे कहने का मतलब है, कितनी भी निर्बलता से हमे करें.. निर्बलतासे - यह निर्बल नहीं है, लेकिन मान लो की मैं बहुत ज्यादा शिक्षित नहीं हूँ। इस लड़के की तरह। अगर मैं इसे प्रचार के लिए भेजूँ, अभी वह बहुत शिक्षित नहीं है। वह एक दार्शनिक नहीं है। वह एक विद्वान नहीं है।

लेकिन वह भी प्रचार कर सकता है। वह भी प्रचार कर सकता है। हमारा प्रचार का काम बहुत मुश्किल बात नहीं है। हम दरवाजे से दरवाजा जाऍ और बस लोगों से अनुरोध करें "मेरे प्रिय महोदय, आप हरे कृष्ण मंत्र का जप किजिए। " और अगर वह थोड़ा उन्नत है, "भगवान चैतन्य की शिक्षाओं को पढ़ने के लिए प्रयास करो । यह बहुत अच्छा है। आपको लाभ देगा।" यह तीन चार शब्द तुम्हे एक उपदेशक बना देंगे । यह बहुत मुश्किल काम है? हो सकता है तुम बहुत अच्छे विद्वान, बहुत अच्छे दार्शनिक नहीं हो। तुम बस कहो ... द्वार द्वार जाओ: "मेरे प्रिय साहब, अाप बहुत विद्वान आदमी हैं। कुछ समय के लिए, आप अपने ज्ञान को रोक दें। बस हरे कृष्ण मंत्र का जप करें। "