HI/Prabhupada 0262 - हमें हमेशा सोचना चाहिए कि हमारी सेवा पूर्ण नहीं है



Lecture -- Seattle, September 27, 1968

तमाल कृष्ण: प्रभुपाद, तो क्या की अगर हमें पता है कि हमें सेवा करनी चाहिए और हम सेवा करना चाहते हैं, लेकिन सेवा का स्तर इतना बुरा है ।

प्रभुपाद: हाँ । कभी मत सोचो कि सेवा एकदम सही हो रही है । यह एकदम सही अवस्था में तुम्हे रखेगा । हां । हमें हमेशा सोचना चाहिए कि हमारी सेवा पूर्ण नहीं है । हां । यह बहुत अच्छा है । जैसे की चैतन्य महाप्रभु नें हमें सिखाया है कि... उन्होंने कहा, कि, "मेरे प्यारे दोस्तों, कृपया मुझसे ये जान लो कि मेरा श्री कृष्ण पर विश्वास एक चुटकी भी नहीं है । अगर तुम कहते हैं कि क्यों मैं रो रहा हूँ , जवाब है सिर्फ यह दिखाने के लिए कि मैं महान भक्त हूँ ।

असल में, मुझमे कृष्ण के लिए प्यार एक चुटकी भर भी नहीं है । यह रोना सिर्फ एक दिखावा है," "अाप एसा क्यों कह रहे हैं ?" "अब, बात यह है कि मैं अभी भी जीवित हूँ बिना कृष्ण को देखे । इसका मतलब है कि मुझमे कृष्ण के लिए कोई प्यार नहीं है । मैं अभी भी जी रहा हूँ । मुझे बहुत पहले ही मर जाना चाहिए था कृष्ण को देखे बिना । " तो हमें उस तरह से सोचना चाहिए । यही उदाहरण है ।

कितनी भी तुम कृष्ण की सेवा में सक्षम हो, तुम्हे हमेशा पता होना चाहिए कि ... कृष्ण असीमित हैं, तो तुम्हारी सेवा पूरी तरह से उन तक पहुँच नहीं सकती है । यह हमेशा सीमित रहेगि क्योंकि हम अपूर्ण हैं । लेकिन कृष्ण बहुत दयालु हैं । अगर तुम ईमानदारी से एक छोटी सी सेवा प्रदान करते हो, वे उसे स्वीकार करते हैं । यही श्री कृष्ण की खूबसूरती है । स्वलपम अपि अस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात । अौर अगर कृष्ण तुम से एक छोटी सी सेवा स्वीकार करते है, तो तुम्हारा जीवन शानदार है ।

तो कृष्ण को पूरी तरह से प्यार करना संभव नहीं है, कृष्ण को सेवा प्रदान करना, क्योंकि वे असीमित हैं । एक प्रक्रिया है, भारत में गंगा की पूजा होती है । गंगा नदी को पवित्र नदी माना जाता है । इसलिए वे गंगा की पूजा करते हैं, गंगा नदी, गंगा से पानी लेकर और उसे ही प्रदान करके । मान लो इस तरह एक छोटे से बर्तन में, बर्तन या तुम्हारी मुट्ठी भर के, तुम गंगा से कुछ पानी लेते हो और अपनी भक्ति और मंत्र के साथ तुम गंगा को पानी प्रदान करते हो । तो तुम गंगा से पानी का एक गिलास लेकर और गंगा को यह प्रदान करते हो, क्या है वहॉ, लाभ और हानी या हानि या लाभ, गंगा के लिए? अगर तुम गंगा से पानी का एक गिलास लेते हो और फिर उसे प्रदान करते हो, तो गंगा को लाभ क्या है? लेकिन तुम्हारी प्रक्रिया, तुम्हारा विश्वास, मां गंगा के लिए तुम्हारा प्यार, "माँ गंगा, मैं आपको यह थोडा सा पानी प्रदान करता हूँ, " यह स्वीकार किया जाता है ।

इसी तरह, क्या है हमारे पास कृष्ण को प्रदान करने के लिए? सब कुछ कृष्ण के अंतर्गत आता है । अब हमने यह फलों को अर्पण किया है । क्या ये फल हमारे हैं? किसने इन फलों का उत्पादन किया है? मैंने उत्पादन किया है? क्या इसान का कोई एसा मस्तिष्क है जो फल, अनाज, दूध का उत्पादन कर सके ? वे बहुत महान वैज्ञानिक हैं । अब उन्हें उत्पादन करने दो । गाय घास खा रही है और तुम्हे दूध देती है ।

तो अब, वैज्ञानिक प्रक्रिया से, तुम क्यों घास को दूध में नहीं बदलते? फिर भी ये दुष्ट, भगवान हैं इस बात से सहमत नहीं होंगे । तुम देखते हो? वे इतने बदमाश हो गए हैं: "विज्ञान ।" और तुम्हारा विज्ञान क्या है, बकवास ? तुम देखते हो कि गाय घास खा रही है और तुम्हे दूध दे रही है । क्यों तुम अपनी पत्नी को नहीं देते हो और दूध लेते? तुम क्यों खरीदते हो? लेकिन अगर तुम एक व्यक्ति को घास देते हो, तो वह मर जाएगी ।

तो सब कुछ, कृष्ण या भगवान का कानून, काम कर रहा है, और फिर भी वे कहते हैं कि "भगवान मर चुके है । कोई भगवान नहीं है । मैं भगवान हूँ ।" तुम इस तरह से यह करो । वे इतने दुष्ट और मूर्ख बन गए हैं । क्यों वे इस सभा में नहीं आते हैं? "ओह, स्वामीजी भगवान की बात कर रहें हैं, पुरानी बातें । (हंसी) हमें कुछ नया खोजना है । " तुम देखते हो? अौर अगर कोई सब बकवास बोलता है, तो "ओह, वह है ..." वह शून्य पर चार घंटे बात करता है । जरा देखो । मॉन्ट्रियल में कोई, एक सज्जन, "स्वामीजी, वह अद्भुत है, उसने शून्य पर चार घंटे बात की ।" वे इतना बेवकूफ है कि वह चार घंटे के लिए शून्य पर सुनना चाहते थे ।

तुम देखते हो? (हंसी) शून्य का मूल्य क्या है? और तुम अपना समय बर्बाद करते हो, चार घंटे? आखिर, यह शून्य है । तो लोग यह चाहते हैं । लोग यह चाहते हैं । अगर हम साधारण बातें कहते हैं - "ईश्वर महान है । तुम नौकर हो, शाश्वत नौकर । तुम्हारी अपनी कोई शक्ति नहीं है । तुम हमेशा भगवान पर निर्भर हो । बस भगवान की सेवा में लगो, तुम खुश हो जाअोगे " -"ओह, यह बहुत अच्छा नहीं है ।" तो वे धोखा खाना चाहते हैं । इसलिए इतने सारे धोखा देने वाले आ गए और धोखा देकर चले जाते हैं, बस । लोग धोखा खाना चाहते हैं । वे सरल बातें नहीं चाहते हैं ।