HI/Prabhupada 0289 - जो भी परमेश्वर के राज्य से आता है वे एक ही हैं



Lecture -- Seattle, September 30, 1968

प्रभुपाद: हाँ?

महिला: राम अौर इशु एक समान हैं?

भक्त: "क्या राम एक समान हैं, इशु जैसे ही ।"

प्रभुपाद: पर्याय ... एकदम पर्याय नहीं हैं, लेकिन समान हैं । पर्याय नहीं कहा जा सकता है, समान ।

महिला: ओह, समान ।

प्रभुपाद: हाँ । पूर्ण मंच में सब कुछ समान है । सापेक्ष दुनिया में भी । जैसे तुम कुछ भी लो, यह भौतिक है । तो भोतिक पहचान । इसी तरह, आध्यात्मिक दुनिया में सब कुछ आध्यात्मिक है । तो आध्यात्मिक दुनिया में भगवान और भगवान का बेटा या भगवान का दोस्त या भगवान का प्रेमी, कोई भी, है ... वे एक ही मंच में हैं, आध्यात्मिक । इसलिए वे समान हैं ।

महिला: लेकिन क्या राम से हमारा मतलब उस अादमी से है जो पैदा हुए थे.., मैं नहीं..., भारत में या कहीं..., और मसीह यूरोप में पैदा हुए थे? दो अलग अलग पुरुष, लेकिन फिर भी एक ही, एक ही ...

प्रभुपाद: हाँ । सूरज भारत में पैदा होता है हर दिन, अमेरिका में पैदा होता है, यूरोप में पैदा होता है । क्या इसका मतलब यह हे कि वह भारतीय या अमेरिकी या चीनी है ?

महिला: नहीं, मेरे कहने का यह मतलब नहीं है ।

प्रभुपाद: तो फिर? इसलिए यह ऐसा ही है । जब ... यह हमारा सीमित ज्ञान है । हमें एसा सिखाया गया है, कि ईश्वर महान हैं । जैसे सूरज महान है; इसलिए सूरज भारत में अमेरिका या चीन में या कहीं भी देखा जाए, दुनिया के किसी भी हिस्से में, ब्रह्मांड के किसी भी भाग में, सूरज एक है । कोई भी यह नहीं कह सकता है "ओह, यह अमेरिकी सूरज है" , "यह भारतीय सूरज है ।"

तो इशु मसीह या राम या कृष्ण, या जो भी परमेश्वर के राज्य से आता है, वे एक ही हैं । कोई अंतर नहीं है । लेकिन अंतर यह है कि, जैसे तुम्हारे देश में सूर्य का तापमान कम है, और एक उष्णकटिबंधीय देश में सूरज का तापमान बहुत ज्यादा है । क्या इसका मतलब है कि सूर्य का तापमान बदल गया है ? यह स्वागत के अनुसार है । इस देश का माहौल ऐसा अधिभारित है कि तुम ठीक से धूप प्राप्त नहीं कर सकते हो, लेकिन धूप हर जगह एक ही चमक वितरित करता है ।

इसी प्रकार, ग्रह के अनुसार, परिस्थितियों के अनुसार, देश के अनुसार, भगवान अलग ढंग से प्रकट होते हैं, लेकिन वे अलग नहीं हैं । तुम कुछ सर्दियों के कपड़े के साथ अपने शरीर को लपेट रहे हो । एक ही समय, भारत में टेलीग्राफ, ओह, वे पंखे पर चल रहा है । क्यों तापमान अलग है? इसलिए, जो प्रभु इशु मसीह कहते हैं, या श्री कृष्ण कहते हैं, या राम जो कहते हैं, वह है जगह के, वातावरण के, हालात के, व्यक्तियों के, श्रोता के तहत है। यह अलग है ।

जो मैं एक बच्चे को समझाने की कोशिश करता हूँ, यह संभव नहीं है कि वही बात उसके पिता को सिखा सकूँ । या एक बच्चा यौन जीवन क्या है यह समझ नहीं सकता है, लेकिन एक युवक समझ सकता है । वही बच्चा, जब वह बड़ा होगा, उसे पता चल जाएगा । इसलिए तुम मत सोचो कि हर कोईसब कुछ समझ सकता है । तो बाइबल कुछ निश्चित परिस्थितियों में बोली जाती है, भगवद गीता कुछ निश्चित परिस्थितियों में बोली जाती है । यह परिस्थितियों का अंतर है । अन्यथा, सिद्धांत एक ही है । बाइबिल में भी यह कहा जाता है "भगवान को प्रेम करो", और भगवद गीता भी कहता है, "भगवान को प्रेम करो ।" कोई अंतर नहीं है ।