HI/Prabhupada 0301 - सबसे बुद्धिमान व्यक्ति, वे नाच रहे हैं



Lecture -- Seattle, October 2, 1968

अब इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन को हमें भगवान चैतन्य की शिक्षाओं के माध्यम से समझना होगा । वे हैं ... पांच सौ साल पहले, वे बंगाल में अवतरित हुए, भारत का प्रांत है, और उन्होंने विशेष रूप से प्रचार किया कृष्ण भावनामृत आंदोलन का । उनका मिशन है कि जो कोई भी भारत में पैदा हुअा है, उसे यह कृष्ण भावनामृत का संदेश लेना चाहिए, और दुनिया भर में इसे वितरित करना चाहिए । उस आदेश पर अमल करने के लिए हम अापके देश में अाए हैं । तो मेरा अनुरोध है कि आप इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन को समझने की कोशिश करें, अपने पूरे ज्ञान के साथ, जाँच या सूक्ष्म परीक्षण करते हुए । आँख बंद करके इसे स्वीकार न करें ।

अपने तर्क, ज्ञान, तर्क, बोध के साथ समझने की कोशिश करें - आप इंसान हैं - और आपको यह, उदात्त उदात्त लगेगा, बिना किसी शक के । हमने यह पुस्तक प्रकाशित किया है, भगवान चैतन्य की शिक्षाऍ और अन्य किताबें भी, कई पुस्तकें । तो उन्हें पढ़ने की कोशिश करें । और हमारे पास हमारे पत्रिकाऍ हैं, बैक टू गोडहेड । हम भावुकतावादी नहीं हैं, कि बस नाच रहे हैं । इस नृत्य का महान मूल्य है, अगर आप हमारे साथ नृत्य करोगे, तो आपको महसूस होगा । यह नहीं है कि कुछ पागल व्यक्ति नाच रहे हैं । नहीं । सबसे बुद्धिमान व्यक्ति, वे नाच रहे हैं । यह बहुत अच्छी तरह से बना है कि एक लड़का भी - जैसे यहॉ एक लड़का है - वह भाग ले सकता हैं । विश्वव्यापी । शामिल हो जाअो, हरे कृष्ण मंत्र का जप करो और नृत्य करो, और आपको एहसास होगा । बहुत सरल विधि ।

आपको शब्दों के मायाजाल या उच्च स्तर का तत्वज्ञान समझने की ज़रूरत नहीं है, यह या वह । साधारण बात है । साधारण बात क्या है? ईश्वर महान है, हर कोई जानता है, और हम महान का अभिन्न अंग हैं । तो जब हम महान के साथ संयुक्त होते हैं, तो हम भी महान हो जाते हैं । जैसे अापके शरीर की तरह, अापके शरीर का एक छोटा सा हिस्सा, एक छोटी उंगली या पैर की अंगुली, उसका भी मूल्य पूरे शरीर के जितना ही है । लेकिन जैसे ही वह छोटा सा हिस्सा या बड़ा हिस्सा शरीर से अलग कर दिया जाता है, उसका कोई मूल्य नहीं है । उसका कोई मूल्य नहीं है । यह उंगली, आपके शरीर का एक बहुत छोटा सा हिस्सा है । अगर दर्द है, तो तुम हजारों डॉलर का खर्च करते हो । तुम चिकित्सक को भुगतान देते हो हजारों डॉलर दर्द के इलाज के लिए, और चिकित्सक जब कहता है कि "इस उंगली को," क्या कहते हैं काटना होगा, अन्यथा पूरा शरीर संक्रमित हो जाएगा," तो जब यह उंगली अापके शरीर से काट दी जाती है, तो आप इसके लिए परवाह नहीं करते हैं । कोई मूल्य नहीं । समझने की कोशिश करें ।

एक टाइपराइटिंग मशीन, एक छोटा सा स्क्रू, जब वह खो जाता है, तब आपका मशीन अच्छी तरह से काम नहीं करता है, आप एक की मरम्मत की दुकान में जाते हो । वस दस डॉलर लेता है । आप तुरंत भुगतान करते हो । वह छोटा से स्क्रू, जब वह मशीन के बाहर है, उसका कोई मूल्य नहीं है, एक पैसे का भी नहीं । इसी तरह, हम सभी परम भगवान के अंग हैं । अगर हम परम भगवान के साथ काम करते हैं, इसका मतलब है कि हम कृष्ण भावनामृत या भगवद भावनामृत में काम करते हैं, कि "मैं हिस्सा हूँ" ...जैसे यह उंगली की तरह जो पूरी तरह से काम कर रही है मेरे शरीर की चेतना के साथ | जब भी थोड़ा दर्द होता है मैं महसूस कर सकता हूँ । इसी तरह, अगर हम कृष्ण भावनामृत में संलग्न होते हैं, तो आप अपनी सामान्य स्थिति में रह रहे हैं, अापका जीवन सफल होगा । और जैसे ही आप कृष्ण भावनामृत से अलग होते हैं, परेशानी वहीं है । पूरी परेशानी वहीं है । तो कई उदाहरण हैं जो हम हर दिन वर्ग में कहते हैं । तो हमें इस कृष्ण भावनामृत को स्वीकार करना होगा अगर हम खुश होना चाहते हैं, और हमारे सामान्य स्थिति में स्थित होना होगा । यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन है ।