HI/Prabhupada 0356 - हम सनकी तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। हम शास्त्र से आधिकारिक संस्करण ले रहे हैं



Lecture at World Health Organization -- Geneva, June 6, 1974

प्रभुपाद: बात यह है कि सरकार का कर्तव्य है कि कोई भी बेरोज़गार न रहे । यह अच्छी सरकार है । कोई भी बेरोज़गार नहीं है । यही वैदिक प्रणाली है । समाज चार भागों में बाँटा गया था: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र । और यह सरकार या राजा का कर्तव्य था कि वे देखे कि ब्राह्मण अापने ब्राह्मण होने का कर्तव्य निभा रहा है । और क्षत्रिय, का कर्तव्य है, उह, क्षत्रिय, उसका कर्तव्य क्षत्रिय का कर्तव्य है । इसी तरह, वैश्य ... तो यह सरकार का कर्तव्य है कि वह देखे कि क्यों लोग बेरोज़गार हैं । तो फिर सवाल हल हो जाएगा ।

अतिथि: लेकिन वे वही लोग हैं जो सरकार में भी हैं ।

प्रभुपाद: एह ?

अतिथि: वे भी ... आरोपित लोग, पैसे वाले लोग, जमींदार, उनकी सरकार में एक मजबूत आवाज़ है ।

प्रभुपाद: नहीं । वह, इसका मतलब है बुरी सरकार ।

अतिथि: हाँ । यह सच है ।

प्रभुपाद: यह बुरी सरकार है । अन्यथा, यह सरकार का कर्तव्य है कि वह देखे कि हर किसी के पास रोज़गार है ।

अतिथि: मैं उस दिन का इंतज़ार कर रहा हूँ जब कृष्णभावनामृत आंदोलन एक वास्तविक क्रांतिकारी आंदोलन बने जो समाज के चेहरा को बदल देगा ।

प्रभुपाद: हाँ । मुझे लगता है कि यह क्रांति लाएगा, क्योंकि अमरिकी और यूरोपीय युवा पुरुष, उन्होंने हाथ में ले लिया है । मैंनें उन्हें अवगत करा दिया है । तो मैं अाशा करता हूँ कि ये यूरोपीय और अमरिकी लड़के, वे बहुत बुद्धिमान हैं, और वे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं । ताकि ... अब हम कुछ साल, पाँच, छह साल से काम कर रहे हैं । फिर भी, हमने दुनिया भर में इस आंदोलन को फैलाया है । इसलिए मैं अनुरोध कर रहा हूँ ... मैं बूढ़ा आदमी हूँ । मैं मर जाऊँगा । अगर वे इसे गंभीरता से लेते हैं, यह चलता रहेगा, और क्रांति अा जाएगी । क्योंकि हम सनकी तरीके से काम नहीं कर रहे हैं, चंचलता से । हम शास्त्र से आधिकारिक संस्करण ले रहे हैं । और हम ... हमारा कार्यक्रम है की इस आकार की कम से कम एक सौ किताबें को प्रकाशित करे । इतनी सारी जानकारी है । वे इन सभी पुस्तकों को पढ़ सकते हैं और जानकारी ले सकते हैं । और अब हमें मान्यता प्राप्त हो रही है । अमेरिका में विशेष रूप से, उच्च स्तर पर, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में, वे अब इन किताबों को पढ़ रहे हैं, और वे प्रशंसा कर रहे हैं । इसलिए हम अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश कर रहे है, साहित्य को प्रस्तुत करने की, व्यावहारिक रूप से काम करके, निर्देश दे कर, जहाँ तक ​​संभव हो । लेकिन मुझे लगता है कि अगर ये लड़़के, जवान लड़के, इसे बहुत गंभीरता से लेते हैं, तो यह क्रांति ले अाएगा ।