HI/Prabhupada 0417 - इस जीवन और अगले जीवन में खुश रहो



Lecture & Initiation -- Seattle, October 20, 1968

तो यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन को ग्रहण करो और इस जीवन और अगले जीवन में खुश रहो । अगर तुम इस जीवन में कृष्ण के प्रति अपने प्रम के कार्य को समाप्त कर सकते हो, तो तुमने शत प्रतिशत किया है । यदि नहीं, तो जो कुछ प्रतिशत इस जीवन में किया है, वह तुम्हारे साथ रहेगा । यह नहीं जाएगा । यह भगवद गीता में आश्वासन दिया है, शुचिनाम् श्रीमताम् गेहे योग भ्रष्टो संन्जायते ([[HI/BG 6.41|भ.गी. ६.४१]) | जो शत प्रतिशत इस योग प्रक्रिया को निष्पादित नहीं कर सकते हैं , अगले जन्म में उसे एक मौका दिया जाता है या तो धनी परिवार में जन्म लेने के लिए, या एक बहुत शुद्ध परिवार में जन्म पाने के लिए । दो विकल्प ।

तो या तो तुम शुद्ध परिवार में या अमीर परिवार में जन्म लेते हो, कम से कम एक मनुष्य जन्म की गारंटी तो है । लेकिन अगर तुम इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन को नहीं लेते हो, तो तुम्हे पता नहीं है कि तुम्हारा अगला जन्म क्या है । वहाँ ८४,००,००० जीवन की विभिन्न प्रजातियॉ हैं, और तुम उनमें से किसी एक को हस्तांतरित किये जा सकते हो । अगर तुम्हे एक पेड़ बनने के लिए स्थानांतरित किया जाए ... जैसे मैंने सेन फ्रांसिस्को में देखा है । उन्होंने कहा कि "यह पेड़ सात हजार साल से खड़ा है ।" वे सात हजार वर्षों से बेंच पर खड़े हैं । लड़कों को कभी कभी स्कूल में शिक्षकों द्वारा दंडित किया जाता है, "बेंच पर खड़े हो जाओ ।" तो इन पेड़ों को दंडित किया है, "खड़े हो जाओ" प्रकृति के नियम से। तो एक पेड़ बनने का मौका है, एक कुत्ता बनने का मौका है, एक बिल्ली, या यहां तक कि एक चूहा भी । तो कई जनम हैं । जीवन के मानव रूप में इस अवसर को मत गवाअो । कृष्ण के लिए अपने प्यार को पूर्ण करो और इस जीवन और अगले जीवन में खुश रहो ।