HI/Prabhupada 0568 - हम सिर्फ अापके दान पर निर्भर कर रहे हैं । आप चाहें, तो आप दान कर सकते हैं



Press Interview -- December 30, 1968, Los Angeles

प्रभुपाद: तो इन सब बातों के साथ, मैं यहाँ आया था, और मुझे लगता है कि मैं सफल हूँ, हाँ ।

पत्रकार: समय की तुलना में बहुत सारे धर्मान्तरित नहीं लगते हैं । कितने अनुयायी हैं... (छींक खाते हुए) कृपया मुझे माफ करना ।

प्रभुपाद: ठीक है ।

पत्रकार: तो कितने अनुयायी हैं...? बस एक सौ?

प्रभुपाद: सौ से थोड़े अधिक ।

हयग्रीव: जो दीक्षा प्राप्त कर चुके हैं अोर सख्ती से पालन कर रहे हैं । अवश्य, बहुत बहुत लोग मंदिरों में आते हैं । और लोग शामिल हो रहे हैं हमारे साथ ।

पत्रकार: कितने मंदिर हैं?

प्रभुपाद: हमारे पास तेरह मंदिर हैं ।

पत्रकार: तेरह?

प्रभुपाद: यह लॉस एंजिल्स एक, है एक सैन फ्रांसिस्को, न्यूयॉर्क में एक, एक सेंटा फ़े, एक बफेलो, एक बोस्टन, एक मॉन्ट्रियल, एक वेन कुवर, और सिएटल, कोलंबस, और लंडन, हैम्बर्ग, इस तरह से... हवाई ।

पत्रकार: ठीक है, तेरह मंदिरों में एक सौ से अधिक लोगों को होना ही होगा । प्रभुपाद: हाँ । हाँ, एक सौ से अधिक हैं, हाँ । शायद... हैयग्रीव: मुझे नहीं पता । प्रभुपाद: हाँ, मेरे पास सूची है । सौ से अधिक हैं ।

हयग्रीव: कम से कम इतने तो होंगे क्योंकि औसत होगा हर मंदिर में दस ।

प्रभुपाद: हाँ । यहाँ इस मंदिर में लगभग बीस लोग हैं ।

पत्रकार: लगभग बीस यहॉ । पैसा कहां से अाता है "बैक टू गोडहेड" छापने के लिए ?

प्रभुपाद: भगवान, भगवान भेजते हैं । (हंसते हुए)

पत्रकार: खैर, हाँ, मुझे इस बात का पूरा यकीन था, लेकिन भगवान चेक नहीं लिखते हैं और ये सब बातें, मैं बस उत्सुक हूँ । और मुझे कहना होगा कि...

प्रभुपाद: भगवान अापको प्रेरित करते हैं अौर अाप देते हैं । बस ।

पत्रकार: मुझे कहना होगा कि उस सवाल का जवाब बहुत अस्पष्ट है ।

प्रभुपाद: (मंद हास्य) हाँ । मैं यहाँ आया था... आप चकित हो जाओगे । मैं केवल सात डॉलर के साथ यहां आया था, और पूरे स्थापना का खर्चा कम से कम, मुझे लगता है ,पाँच हजार डॉलर मासिक । कम से कम ।

पत्रकार: यह साठ हजार प्रति वर्ष है । मेरा मतलब है, यह दान दिया जाता है?

प्रभुपाद: पांच हजार बहुत कम है । मेरे खयाल से इससे अधिक है ।

हयग्रीव: मुझे पता नहीं है ।

प्रभुपाद: हाँ । क्योंकि हम दे रहे हैं, यह मंदिर, हम केवल किराया, चार सौ दे रहे हैं । इसी प्रकार प्रत्येक और हर जगह हम तीन सौ, चार सौ किराया दे रहे हैं । प

त्रकार: ठीक है, क्या वो लोग अाते हैं सेवा करने जो शिष्य और भक्त नहीं हैं?

प्रभुपाद: हाँ । नहीं, हम सब लोग को अनुमति देते हैं । "मंत्र जपो, प्रसाद लो ।" हम इस प्रसादम का प्रदान करते हैं । जपो, नृत्य करो, भगवद गीता सुनो, और प्रसादम लो और घर जाओ । पत्रकार: तो दूसरे शब्दों में, अगर वे कुछ दान करना चाहते हैं, वे दान करते हैं ।

प्रभुपाद: हाँ । हम दान माँगते हैं, कि "हम सिर्फ अापके दान पर निर्भर कर रहे हैं । आप चाहें, तो आप दान कर सकते हैं ।" लोग दान देते हैं । हां ।

पत्रकार: हाँ । क्या इसी तरह इस पत्रिका का प्रकाशन होता है?

प्रभुपाद: पत्रिका भी, हम बाजार ले जाते हैं और बेचते हैं । लोग खरीदते हैं । तो वास्तव में हमारी कोई स्थिर अामदनी नहीं है ।

पत्रकार: ओह, अापकी नहीं है ।

प्रभुपाद: नहीं । हम बस कृष्ण पर निर्भर करते हैं । लेकिन कृष्ण की कृपा से, हमारा आंदोलन बढ़ता जा रहा है । यह कम नहीं हो रहा है ।

पत्रकार: यह अच्छा है । मैं बस इस बारे में उत्सुक हूँ क्योंकि यह एक सुंदर पत्रिका है,

प्रभुपाद: तो हमारी मदद करने की कोशिश करें ।

पत्रकार: माफ करना?

प्रभुपाद: इस आंदोलन में मदद करने की कोशिश करें । आपका अमेरिका, इतने सारे अमीर आदमी हैं । अगर कोई आता है और इस आंदोलन की मदद करता है, एक या दो, तो हम बहुत स्थिर प्रगति कर सकते हैं । हमारे पास पैसे नहीं है । हम बहुत ही कठिन संघर्ष कर रहे हैं । आप देखते हैं? यह लड़का ओहायो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर है । तो जो भी वह कमाता है वह इस बात के लिए खर्च कर रहा है । इसी तरह, सभी लड़के जो भी वे कमाते हैं, वे खर्च करते हैं । लेकिन यह पर्याप्त नहीं है, आप देखते हैं? हमें प्रचार करने की आवश्यकता है । हम पर्याप्त रूप से इस पत्रिका को प्रकाशित नहीं कर सकते हैं । हम प्रति माह कम से कम पचास हजार प्रकाशित करना चाहते हैं, लेकिन कोई धन नहीं है । हम सबसे ज़्यादा से ज़्यादा पांच हजार प्रकाशित कर रहे हैं ।

पत्रकार: वहाँ कौन शंख बजा रहा है? (शंख बजना)