HI/Prabhupada 0763 - हर कोई गुरु बन जाएगा जब वह विशेषज्ञ शिष्य होगा, लेकिन यह अपरिपक्व प्रयास क्यों



Conversation -- May 30, 1976, Honolulu

प्रभुपाद: गुरु बनने की वृत्ति है । लेकिन... आख़िरकार, आप में से हर एक को गुरु बनना चाहिए । लेकिन क्यों ये अपरिपक्व प्रयास ? यही मेरा सवाल है । हर कोई गुरु बन जाएगा जब वह निष्णात शिष्य होगा, लेकिन यह अपरिपक्व प्रयास क्यों ? गुरु कोई वस्तु नहीं है जिसकी नकल की जाए । जब कोई परिपक्व हो जाता है, वह अपने आप गुरु बन जाता है । इस सवाल का जवाब क्या है ? गुरू बनने के लिए कुछ प्रयास हो चुके हैं । मैं आप सभी को भविष्य में गुरू बनने के लिए प्रशिक्षण कर रहा हूँ ।

अब कृष्ण भावनामृत आंदोलन, गुण और सब कुछ, मैं अपने साथ नहीं लेकर जाऊँगा । वे जहाँ हैं, वहीं रह जाएँगे । इसे बहुत ही परिपक्व व्यवहार की आवश्यकता है । लेकिन जल्दबाजी में गुरु बनने के लिए कुछ प्रयास हुए हैं । मैं सही हूँ या नहीं ? हम्म ? हम भी गुरु के रूप में कार्य कर रहे हैं । मेरे अन्य गुरू भाई, वे भी यह कार्य कर रहे हैं । लेकिन हमने अपने गुरु महाराज के जीवनकाल के दौरान यह कोशिश कभी नहीं की । यह शिष्टाचार नहीं है । वो अपरिपक्व प्रयास है । और यह बात ठीक नहीं कि कोई कृत्रिम प्रयास से गुरु बन जाता है । गुरु, (अस्पष्ट) द्वारा स्वीकार किया जाता है, ना की कृत्रिम प्रयास से । आमार आज्ञाय गुरु हया (चैतन्य चरितामृत मध्य ७.१२८): "मेरे आदेश का पालन करो और गुरू बनो ।" ऐसा नहीं कि आप खुद से गुरु बन जाओ ।

आमार आज्ञाय गुरु हया तारा एई देश
यारे देख, तारे कह "कृष्ण" उपदेश
(चैतन्य चरितामृत मध्य ७.१२८)

हम्म ? आपको परंपरा प्रणाली का पालन करना होगा । वही गुरु है । ऐसा नहीं कि मैं खुद से स्वंय को गुरु रूप में घोषित कर दू । नहीं, यह गुरु नहीं है । गुरु वो है जिसने सख्ती से आध्यात्मिक गुरु के आदेश का पालन किया है । वह गुरु बन सकता है । अन्यथा यह खराब हो जाएगा । कृत्रिम प्रयास अच्छा नहीं है ।