HI/Prabhupada 0859 - यही पश्चिमी सभ्यता का दोष है। वोक्स पोपुलै, जनता की राय लेना



Room Conversation with Director of Research of the Dept. of Social Welfare

निर्देशक: लेकिन लोग कहेंगे कि यह एक बहुत छोटा प्रतिशत है जनसंख्या का ।

प्रभुपाद: नहीं । उच्च प्रतिशत का कोई सवाल ही नहीं है । मैंने कहा की एक छोटा सा प्रतिशत भी, कुछ आदर्श पुरुष होने चाहिए । कम से कम लोग देखेंगे कि "यहाँ आदर्श आदमी है ।" जैसे हमारे पास हैं । क्योंकि वे कीर्तन कर रहे हैं और नाच रहै हैं, कई बाहरी लोग आ रहे हैं, और वे भी सीख रहे हैं, वे भी दण्डवत प्रणाम कर रहे हैं । और धीरे-धीरे वे अपनी सेवा दे रहे हैं: "मुझे स्वीकार करें ।" उदाहरण उपदेश से बेहतर है । अगर पुरुषों का एक आदर्श समूह है, तो लोग स्वचालित रूप से सीखेंगे । यही अावश्यक है । लेकिन बुरा मत मानना... मुझे नहीं दिखते, मेरे कहने का मतलब है, पुरुषों का आदर्श समूह । यहां तक ​​कि पुजारियों में, वे अपने पीने की आदत के लिए अस्पताल जा रहे हैं । मैंने देखा है कभी कभी एक अस्पताल में, पांच हजार रोगी, मादक रोगी पुजारी । वे पुजारी आदर्श चरित्र के होने चाहिए । और वे वकालत कर रहे हैं समलैंगिक । तो कहां हैं आदर्श चरित्र के पुरुष ? अगर पुरोहित वर्ग है, वे पीने की अादत के लिए अस्पताल जा रहे हैं, और वे अनुमति दे रहे हैं, आदमी-आदमी की शादी और समलैंगिक, तो कहां आदर्श चरित्र है ?

निर्देशक: लेकिन समलैंगिक एक बीमारी है हमारे...

प्रभुपाद: एह ?

निर्देशक: समलैंगिक एक बीमारी है । तुम क्यों...?

भक्त: उन्होंने कहा कि यह एक बीमारी है । निर्देशक: यह एक बीमारी है । जैसे अगर कोई देख नहीं सकता, तुम उसे सज़ा देते हो अंधेपन के लिए । तुम समलैंगिक होने के लिए एक व्यक्ति को दंडित नहीं कर सकते । हमारा समाज यह कहता है ।

प्रभुपाद: ठीक है, खैर, पुरोहित वर्ग, समलैंगिक को मंजूरी देना ।

निर्देशक: माफ करना ?

प्रभुपाद: मंजूरी देना । वे समलैंगिक को अनुमति दे रहे हैं ।

निर्देशक: हाँ, हम कहते हैं...

प्रभुपाद: और रिपोर्ट था की आदमी और आदमी की पुजारी द्वारा शादी की गई । न्यू यॉर्क में एक अखबार, वोचटावर । वो एक ईसाई अखबार है । मैने देखा है उस अखबार में । वे निंदा कर रहे हैं, वह पुजारी आदमी-आदमी की शादी की इजाजत दे रहा है । वे प्रस्ताव पारित कर रहे हैं, समलैंगिक "ठीक है |" और पर्थ में तुमने कहा कि छात्र समलैंगिक के बारे में चर्चा कर रहे हैं, उसके पक्ष में । तो कहां आदर्श चरित्र है ? अगर तुम कुछ ठोस चाहते हो, तो आदर्श चरित्र बनने के लिए कुछ लोगों को प्रशिक्षित करो । यही कृष्ण भावनामृत आंदोलन है ।

निर्देशक: क्या कहें... लोगों का कहना है कि जो तुम्हारे लिए अादर्श है वह दूसरे के लिए आदर्श न हो ।

प्रभुपाद: मैं उदाहरण दे रहा हूँ आदर्श चरित्र का ।

निर्देशक: हाँ, लेकिन वह एक राय है ।

प्रभुपाद: नहीं, यह राय पर निर्भर नहीं होगा । राय, अगर लोग सभी गधे हैं तो राय का मूल्य क्या है ? कोई राय नहीं है । यह शास्त्र में दिया गया है वैसे ही अपनाना चाहिए । कोई राय नहीं । एक गधे की राय लेने का क्या उपयोग है ? लोगों को सिर्फ कुत्तों और गधे की तरह प्रशिक्षित किया जाता है, तो उनकी राय का क्या फायदा है ? अगर तुम लागू करना चाहते हो, तो तुम्हे इस तरह से करना चाहिए । जैसे हमने इसे शुरु में कहा था "कोई अवैध यौन संबंध नहीं ।" मैंने उनकी राय की कोई परवाह नहीं की । राय... तुरंत चर्चा होगी । और उनकी राय लेने का क्या उपयोग है ? यह किया जाना चाहिए । यही पश्चिमी सभ्यता का दोष है । वोक्स पोपुलि, जनता की राय लेना । लेकिन इस जनता का मूल्य क्या है ? शराबी, धूम्रपान करने वाले, मांस-भक्षण करने वाले, औरत-शिकारी । क्या... वे प्रथम श्रेणी के पुरुष नहीं हैं । तो ऐसे तृतीय वर्ग, चौथे वर्ग के पुरुषों की राय का क्या फायदा है ? हम इस तरह के विचार की वकालत नहीं करते हैं । जो भी कृष्ण नें कहा, वह मानक है, बस । कृष्ण सर्वोच्च हैं, और उनके कथन अंतिम हैं । कोई राय नहीं, कोई लोकतंत्र नहीं । जब तुम एक चिकित्सक के पास जाते हो, चिकित्सक, इलाज के लिए, वह चिकित्सक अपने पर्चे को अन्य रोगीओ की राय के लिए नहीं रखता है: "अब मैं इस सज्जन के लिए यह दवा लिख ​​रहा हूँ । अब मुझे अपनी राय दो । "वह ऐसा करता है ? सभी रोगी, वे क्या देंगे राय ? चिकित्सक सही व्यक्ति है । उसने जो पर्चे में लिखा है, बस । लेकिन यहाँ पश्चिमी..., सब कुछ, जनता की राय ।