HI/Prabhupada 0957 - मुहम्मद कहते हैं कि वे भगवान के दास हैं । मसीह कहते हैं कि वे भगवान के पुत्र हैं



750624 - Conversation - Los Angeles

प्रभुपाद: मुहम्मद कहते हैं कि वे भगवान के दास हैं । मसीह कहते हैं कि वे भगवान के बेटे हैं । और कृष्ण कहते है, "मैं भगवान हूँ ।" तो कहाँ फर्क है ? बेटा वही बात कहेगा, दास वही बात कहेगा, और पिता भी वही बात कहेगा । तो धर्मशास्त्र का मतलब है भगवान को जानना और उनके आदेश का पालन करना । यही मेरी समझ है । और धर्मशास्त्र का मतलब नहीं है संशोधन करना की भगवान कौन हैं । यह ब्रह्मविद्या है । तो अगर तुम धर्मशास्त्री हो, तो तुम्हे पता होना चाहिए कि भगवान क्या हैं और उनके आदेश का पालन करना चाहिए । अापका क्या ख्याल है डॉ जूडा ?

डॉ जूडा : माफ करना ?

प्रभुपाद: अापका क्या ख्याल है इस प्रस्ताव के बारे में ?

डॉ जूडा: हाँ, मुझे लगता है कि अाप सही हैं । मुझे यह लगता है कि... निश्चित रूप से, अाज के युग में, हम में से कई वास्तव में भगवान को जानते नहीं हैं ।

प्रभुपाद: हाँ । फिर वह धर्मशास्त्री नहीं है । वह ब्रह्मज्ञानी है ।

डॉ जूडा: हम भगवान के बारे में जानते हैं, लेकिन हम भगवान को नहीं जानते हैं । मैं इस बात से सहमत हूं ।

प्रभुपाद: तब वह ब्रह्मज्ञानी है । ब्रह्मज्ञानी, वे सोच रहे हैं कि कुछ बेहतर है | लेकिन कौन बेहतर है, वे खोज रहे हैं । वही बात: एक लड़का, वह जानता है, "मेरे एक पिता हैं," लेकिन "कौन हैं मेरे पिता ? मैं नहीं जानता ।" "ओह, यह, तुम्हे अपनी माँ से पूछना होगा ।" बस । अपने अाप से वो नहीं समझ सकता । तो हमारा प्रस्ताव है कि अगर अाप भगवान को नहीं जानते हैं, और यहाँ भगवान हैं , श्री कृष्ण, क्यों अाप उन्हें स्वीकार नहीं करते हो ? सब से पहले अापको पता नहीं है । और अगर मैं प्रस्तुत करता हूं, "यहाँ भगवान हैं " तो अाप क्यों स्वीकार नहीं करते हैं ? जवाब क्या है ? हम भगवान प्रस्तुत कर रहे हैं "यहाँ भगवान हैं ।" और बड़े, बड़े अाचार्य स्वीकार कर रहे हैं- रामानुजाचार्य, मध्वाचार्य, विष्णु स्वामी, प्रभु चैतन्य, हमारे परम्परा में मेरे गुरु महाराज और मैं प्रचार कर रहा हूं, "यह भगवान हैं ।" मैं मनगढ़ंत भगवान को पेश नहीं कर रहा हूँ । मैं उस भगवान को पेश कर रहा हूँ जिनको मान्यता प्राप्त है । तो अाप क्यों स्वीकार नहीं करते हैं ? कठिनाई क्या है ?

डॉ जूडा: मेरे ख्याल से एक कठिनाइ यह है खास तौर पर पुरानी पीढ़ी में, कि हम जीवन के कुछ ढाँचे का पालन करते हैं, और यह...

प्रभुपाद: तो फिर अाप भगवान के बारे में गंभीर नहीं हैं ।

डॉ जूडा: और, इसे बदलना मुश्किल है । यह बड़ी समस्या है ।

प्रभुपाद: तो अाप गंभीर नहीं हैं । इसलिए श्री कृष्ण कहते हैं, सर्व धर्मान परित्यज्य माम एकम शरणम (भ.गी. १८.६६): "आपको त्यागना ही होगा ।"

डॉ जूडा: यह सही है ।

प्रभुपाद: क्योंकि अगर आप त्यागने के लिए तैयार नहीं हैं, तो फिर अाप भगवान को स्वीकार नहीं कर सकते ।

डॉ ऑर: मुझे लगता है कि अाप थोड़ी नाइन्साफी कर रहे हैं डॉ. क्रोस्ले के साथ । मुझे लगता है कि अाप जो कह रहे हैं वह सत्य है, कि सबसे महत्वपूर्ण बात हम यह कर सकते हैं कि हम भगवान की तलाश करें और भगवान को समझें, लेकिन मुझे लगता है कि यह कहना सही नहीं है कि अन्य लोगों का अध्ययन करना बुरी बात है, या कैसे मनुष्य नें...

प्रभुपाद: नहीं, मैंने बुरी बात नहीं कही । मैं कहता हूं कि अगर अाप भगवान के बारे में गंभीर हैं, अब, यहाँ भगवान हैं ।

डॉ ऑर: एक विश्वविद्यालय का होना इस बात के लिए ही है, यह अध्ययन करने के लिए कि लोगों का विभिन्न मामलों पर विचार क्या है ।

प्रभुपाद: नहीं, यह ठीक है । मैंने पहले ही कहा है । यदि आप कुछ खोज रहे हैं, अगर वह अापको मिल जाती है, तो क्यों अाप इसे स्वीकार नहीं करते हैं ?

डॉ ऑर: क्या अापको लगता है कि मसीह नें कहा है कि श्री कृष्ण उनके पिता हैं ?

प्रभुपाद: नाम अलग-अलग हो सकता है । जैसे हमारे देशों में हम कहते हैं, इस फूल को कुछ; आप कुछ अौर कहते हो । लेकिन विषय वही होना चाहिए । नाम में क्या... आप अलग तरह से कह सकते हैं, जैसे अाप समझते हैं । लेकिन भगवान एक हैं । भगवान दो नहीं हो सकते हैं । आप उसे अलग नाम दे सकते हैं । वह अलग बात है । लेकिन भगवान एक हैं । भगवान दो नहीं हो सकते ।