HI/670405-6 - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

(No difference)

Revision as of 21:25, 1 January 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो एक कृष्ण और एक गोपी वे नृत्य कर रहे हैं। वह दृश्य होना , दृश्य होना चाहिए । फिर तो रास नृत्य रोक देना चाहिए, और कृष्ण गोपियों से बात करेंगे कृष्ण गोपियों से कहेंगे की " मेरी प्रिय सखियों, तुम इस घोर रात्रि में मेरे पास आयी हो। यह बहुत अच्छा नहीं है, क्योंकि

हर स्त्री का कर्त्तव्य है उसके पति तो प्रसन्न करना। तो तुम्हारे पति क्या सोचेंगे की तुम घोर रात्रि में (यहाँ) आयी हो? एक स्त्री का धर्म की उसके पति का परित्याग न करे , भले ही वह अच्छे चरित्र का न हो या वह दुर्भाग्यशाली हो, अगर वह बूढा या वह रोगी हो। फिर भी पति की पत्नी द्वारा पूजा की जाती है।"।Vanisource:670405-6 - Conversation on Lord Chaitanya Play। चैतन्य महाप्रभु पर नाटक के बारे में बातचीत - सैन फ्रांसिस्को।670405-6

[[{{{4}}}|{{{5}}}]]

|Vanisource:670405-6 - Conversation on Lord Caitanya Play - San Francisco|670405-6 - चैतन्य महाप्रभु पर नाटक के बारे में बातचीत - सैन फ्रांसिस्को}}