HI/680826 बातचीत - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 06:51, 22 June 2022 by Meghna (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
चैतन्य महाप्रभु के पास सभी सुविधाए थीं। वे अपने राज्य में बहुत सम्मानित एवं ज्ञानी युवा थे; उनके कई अनुयायी थे। एक घटना से हम समझ सकते हैं कि वे कितने लोकप्रिय नेता थे। चाँद काज़ी ने उनके संकीर्तन आंदोलन को चुनौती दी और पहली बार उन्हें हरे कृष्ण का जप न करने की चेतावनी दी, और जब उन्होंने इसकी परवाह नहीं की, तो काज़ी ने मृदंग को तोड़ देने का आदेश दिया। तो सैनिको ने आकर मृदंग को तोड़ दिया। इस घटना की जानकारी भगवान चैतन्य को दी गई, और उन्होंने सविनय अवज्ञा का आदेश दिया। वह भारत के इतिहास में पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की थी।
680826 - बातचीत - मॉन्ट्रियल