HI/700505 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 23:27, 28 June 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कृष्णेर संसार कोरो छाड़ि अनाचार (भक्तिविनोद ठाकुर)। हमारा प्रचार है कि चलो हम कृष्ण के वंश के सदस्य बन जाएँ। हमारी वह योजना है। और यदि हम कृष्ण के वंश में प्रवेश करें...(तो) ठीक जैसे कृष्ण उनकी पत्नी के साथ आनंद ले रहे हैं। तो (वहां) किसी चीज़ कि मनाही नहीं है; वहां सभी कुछ है। कृष्ण भोजन कर रहे हैं, कृष्ण आनंद ले रहे हैं, कृष्ण नृत्य कर रहे हैं, कृष्ण अपना प्रसाद दे रहे हैं - आदान प्रदान। (वहां हमें) किसी भी चीज़ से वंचित नहीं किया जाता है। यदि हम कृष्ण भावनामय जीवन में रहते हैं तब हम कई सौ, कई हज़ार, या कितने भी वर्ष जीवित रह सकते हैं। वस्तुतः हम मरते नहीं हैं। मृत्यु और जन्म क्या है ? वे इस शरीर के (धर्म) हैं। तो हम नित्य हैं; (जैसे) कृष्ण नित्य हैं।"
700505 - प्रवचन ISO 03 - लॉस एंजेलेस