HI/700510 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 14:36, 6 September 2021 by Meghna (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हम जो कुछ भी इस ब्रह्मांड के भीतर, भौतिक जगत आध्यात्मिक जगत के भीतर देखते हैं, वह आध्यात्मिक जगत, कृष्ण की अंतरंग शक्ति का विस्तार है, और यह भौतिक जगत कृष्ण की बहिरंग शक्ति का विस्तार है, और हम जीवात्माएं तटस्थ शक्ति का विस्तार हैं। इसलिए तीन शक्तियां हैं। भगवान के पास बहु-शक्तियां हैं। सभी बहु-शक्तियों को तीन शीर्षकों में बांटा गया है:अंतरंग-शक्ति, बहिरंग-शक्ति, तटस्थ-शक्ति। अंतरंग-शक्ति का अर्थ है आंतरिक शक्ति; बहिरंग शक्ति का अर्थ है बाहरी शक्ति; और तटस्थ-शक्ति का अर्थ है जीवात्मायें। हम शक्ति हैं।"
700510 - प्रवचन इशो ०७ - लॉस एंजेलेस