HI/670122 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
" तथ्य यह है कि आपको ध्यान करना है। फिर ध्यान करें, आपको हठ-योग का अभ्यास करना है। हठ-योग ऐसे व्यक्ति के लिए कहा गया है, जो अपने शरीर से अत्यधिक आसक्त है। जो व्यक्ति बहुत जिद्दी दृढ़ विश्वास पर अडा है कि "मैं यह शरीर हूँ", ऐसे मूर्ख लोगों को हठ-योग का अभ्यास करने को कहा जाता है ताकि -"आप हठ-योग करके स्वयं ही जान सके कि आपके शरीर के भीतर क्या है"। ध्यान। किन्तु जो यह जानता है कि "मैं यह शरीर नहीं हूँ ," वह तुरंत शुरू करता है कि "मैं यह शरीर नहीं हूँ; मैं शुद्ध आत्मा हूँ , और मैं परम भगवान का अंश हूँ। इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस परम भगवान कि सेवा करूँ।" यह बहुत ही सरल सत्य है।"
670122 - प्रवचन चै.च. मध्य २५.३१-३८ - सैन फ्रांसिस्को