HI/670320 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"इस भौतिक संसार में हम स्थायी समाधान के लिए बहुत सारी योजनाएँ बना रहे हैं, किन्तु दुर्भाग्य वश, हमें इसका विपरीत परिणाम ही प्राप्त हो रहा है। वह हमारे अनुभव में है। एक वैष्णव कवि द्वारा गाया गया बहुत अच्छा गीत है। वह कहते हैं, सक्खेरे लगिया ई बारो भगीनु आले पुरिया जेल: "मैंने इस घर का निर्माण खुशी से रहने के लिए किया है। दुर्भाग्य वश, इसमें आग लग गई, इसलिए सब कुछ खत्म हो गया।" वही चल रहा है। भौतिक संसार में हम बहुत आराम से, शांति से, अनंत काल तक जीने के लिए कई योजनाएं बना रहे हैं - किन्तु यह संभव नहीं है। लोग इसे समझ नहीं पाते हैं। वे शास्त्र से देख रहे हैं, अनुभव कर रहे हैं; शास्त्र से हमें निर्देश मिल रहा है, कि कुछ भी शाश्वत नहीं है। भौतिक संसार में सब कुछ नश्वर है। और हम वास्तव में यह भी देख रहे हैं कि नाशवान प्रतिनिधि हमेशा तैयार रहते हैं।"
670320 - प्रवचन स.बी. ०७. ०७. ४०-४४ - सैन फ्रांसिस्को