HI/680316b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
मन्मना भव मद भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु (भ.गी. १८.६५) । कृष्ण कहते हैं कि "हमेशा अपने मन में मेरे बारे में सोचो ।" मन्मना । मनः का अर्थ है मन । मन्मना भव मद भक्तो, "और मेरे भक्त बनो । मुझे अपना दुश्मन मत समझो ।" कभी-कभी कृष्ण को शत्रु माना जाता है । उस तरह का विचार बेकार है । बेकार नहीं । बेशक, जो शत्रु हमेशा कृष्ण के बारे में सोचते थे, उन्हें भी मोक्ष मिल गया । क्योंकि, आखिरकार, उन्होंने कृष्ण के बारे में सोचा । लेकिन उस तरीके से नहीं ।
680316 - प्रवचन अंश - सैन फ्रांसिस्को