HI/680317 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
यदि आप कृष्ण या कृष्ण के भक्तों को देखते हैं, यदि आप "कृष्ण" का जप करते हैं, तो कृष्ण नाम से अलग नहीं है, क्योंकि वह निरपेक्ष है । वह अलग नहीं है । शब्द "कृष्ण" और व्यक्ति कृष्ण, या भगवान कृष्ण, अलग नहीं है, क्योंकि सब कुछ कृष्ण ही है । अद्वैतवाद, अद्वैतवाद या धर्मवाद का दर्शन परिपूर्ण है । जब अद्वैतवाद से कृष्ण को समझ लेते हैं, तो वह पूर्णता है । यदि कृष्ण सर्वोच्च सत्य हैं, जिन से सब कुछ निकल रहा हैं, तो वह सब कुछ है ।
680317 - प्रवचन भ.गी. ७.१ - सैन फ्रांसिस्को