HI/680320 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
जीव को भगवद गीता में सर्वग के रूप में वर्णित किया गया है । सर्वग का अर्थ है कि वह इस ब्रह्मांड के भीतर कहीं भी जा सकता है । वह आध्यात्मिक आकाश में भी जा सकता है । सर्वग का अर्थ है हर जगह, जहा भी वह चाहे । जैसा कि कल, कल रात मैंने समझाया, यान्ति देवव्रता देवान (भ.गी. ९.२५) । यदि वह चाहे, तो वह देवलोक पर जा सकता है, पितृलोक पर, वह यहां रह सकता है, या यदि वह पसंद करता है, तो वह कृष्ण के धाम जा सकता है । उसे यह आज़ादी मिली है । जैसे कई सरकारी पद हैं । आप उनमें से किसी एक का चयन कर सकते हैं, लेकिन आपको इसके लिए योग्य बनाना पड़ेगा । तो यह योग्यता का प्रश्न है, आप किस तरह से देवताओं के ग्रहों तक जा सकते हैं, आप किस तरह से पितृ के ग्रहों तक जा सकते हैं ।
680320 - सुबह की सैर अंश - सैन फ्रांसिस्को