"गौरांग बोलीते हबे पुलक-शरीर। यह भगवन्नाम गुणगान की सिद्धि है, कि ज्योंही हम भगवान गौरांग महाप्रभु जिन्होंने संकीर्तन आंदोलन का आरम्भ किया, उनके नाम का गुणगान करेंगे तत्क्षण हमारे शरीर में एक कम्पन होगा। हमें इसका अनुकरण नहीं करना है। किन्तु नरोत्तम दास ठाकुर अनुशंसा कर रहे हैं कि कब वह सुअवसर आएगा, कि जैसे ही हम गौरांग महाप्रभु के नाम का गुणगान करेंगे, हमारे शरीर में भी कम्पन होगा। और, उस कम्पन के पश्चात, हरि हरि बोलीते नयने बाबे नीर, हरे कृष्ण का गान करते समय हमारी आँखों से अश्रु प्रवाहित होंगे।"
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