HI/690604b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यू वृन्दावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो जैसे ही आप हरे कृष्णा उचारन करते है, आप उनका स्मरण करने पे बाध्य हो जाते है। जैसे ही शब्द कृष्णा जहां होता है, और आप ज़्यादा से ज़्यादा इसका प्रयोग करते है, तो आप सिर्फ़ कृष्णा, कृष्णा, कृष्णा देखेंगे - और कुछ नही। सर्वत्र स्फुर्ती तारा इष्ट-देवा मूर्ति (सी सी माध्य ८.२७४)। जैसे ही आप प्रगति करते है, फिर आप एक पेड़ देखते है, पर आप कृष्ण को देखते है; आप पेड़ का आकार नही देखेंगे।"
प्रवचन - न्यू वृंदावन, यू एस ऐ