HI/690618 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यू वृन्दावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Nectar Drops from Srila Prabhupada
शुकदेव गोस्वामी ने सिर्फ कीर्तन करके मोक्ष और पूर्णता प्राप्त की । इस कीर्तन का अर्थ है श्रीमद-भागवतम से भगवान की महिमा का वर्णन करना । तो वे कहते है, प्रवर्तमानस्य गुणैर अनात्मनस ततो भवान दर्शय चेष्टितम: 'लोग भौतिक प्रकृति के गुणों से इतने उलझे हुए हैं । तो उन्हें इस उलझन से मुक्त करने के लिए, आप पथ दिखाते हैं । बस उन्हें श्रवण कराते हैं । उन्हें भगवान के अद्भुत कार्यो का श्रवण करने दें । वह कार्य... क्योंकि कृष्ण पूर्ण सत्य है । तो कृष्ण और कृष्ण के कार्य समान हैं क्योंकि वो पूर्ण है । वो द्वंद्व नहीं है । भौतिक संसार में, मैं और मेरे कार्य अलग-अलग हैं । यह दुनिया द्वंद्वपूर्ण है । लेकिन निरपेक्ष जगत में, कृष्ण और कृष्ण की लीलाए, कृष्ण और कृष्ण का नाम, कृष्ण और कृष्ण के गुण, कृष्ण और कृष्ण की कीर्ति, वे सभी कृष्ण हैं । कृष्ण और कृष्ण के सहयोगी, वे सभी कृष्ण हैं । कृष्ण एक ग्वालबाल है । तो कृष्ण और गाय, वे सभी कृष्ण हैं । ये हमें सीखना है । वे कृष्ण से अलग नहीं हैं । कृष्ण और गोपी, वे सभी कृष्ण हैं । आनंद-चिन्मय-रस-प्रतिभाविताभी: (ब्र.सं. ५.३७ ) । तो हमें इसे समझना है ।
690618 - प्रवचन श्री.भा. १.५.१४ - न्यू वृंदावन, अमरीका