HI/690619 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यू वृन्दावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Nectar Drops from Srila Prabhupada
यह कार्य, यह कृष्ण भावनाभावित कार्य, केवल पवित्र नहीं है; यह दिव्य है । तो यदि आप कृष्ण भावनामृत में रहते हैं, जो की एक सरल प्रक्रिया है, जैसे कि हम नए वृंदावन धाम में निष्पादित कर रहे हैं, कीर्तन करना, नृत्य करना, भगवत-प्रसाद ग्रहण करना, श्रीमद्भागवत तथा श्रीमद्भगवद्गीता का श्रवण करना, उसे समझना... यह अत्यधिक कठिन नहीं है । आप थोड़े से प्रसाद से ही संतुष्ट हैं, भले ही वह कुछ भी क्यों न हो । यह प्रक्रिया आपको दृढ़ बनाएगी । तो विचलित न हो । जो भी थोड़े बहुत नियामक सिद्धांत हैं, वे कठिन नहीं हैं । बस इस सिद्धांत से जुड़े रहें, हरे कृष्ण का जप करें, प्रसाद ग्रहण करे, और आपका जीवन सफल रहेगा । यहां नारद मुनी द्वारा आश्वासन दिया गया है कि 'यदि आपका पतन भी होता है, तब भी, कोई हानि नहीं है । परंतु दूसरी ओर, जो कृष्ण भावनामृत में नहीं हैं, यदि वे अत्यधिक कुलीन व्यवसायी या नियमित कार्यकर्ता हैं, या कुछ भी, फिर भी, उनके पक्ष में कुछ लाभ नहीं है ।
690619 - प्रवचन श्री.भा. १.५.१५ - न्यू वृंदावन, अमरीका