HI/700426 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"मुख-बाहूरू-पादा-जह:। जैसा कि हमारे इस शरीर में विभाजन हैं-यह मुंह, हाथ, पेट और पैर-इसी तरह, कृष्ण का विशाल शरीर, विराट पुरुषा, उनका मुंह ये ब्राह्मण हैं, उनकी भुजाएं क्षत्रिया हैं, उनका पेट वैश्य है और पैर शूद्रा हैं। या ब्रह्मचारि, गृहस्ता, वानप्रस्था, सन्यासा। तो पूरे शरीर,सम्पूर्णा, के विभिन्न भागों में अलग-अलग स्थान प्राप्त किए हैं। यदि आप अपनी स्थिति बनाये रखते हैं और उसी प्रकार कार्य करते हैं, सुविधा लेते हैं, फिर आप पूर्ण हैं।"
700426 - प्रवचन इशो मंगलाचरण अंश - लॉस एंजेलेस