HI/731227 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कृष्ण का कहना है कि 'कोई भी व्यक्ति जो पूरी तरह से मुझ पर निर्भर है', योग-क्षेमम वहामी अहम् (भ.गी. ०९.२२), 'मैं व्यक्तिगत रूप से उसकी आवश्यकता को पूरा करता हूं।' भगवद गीता में कृष्ण का यही वादा है। इसलिए त्याग क्रम का मतलब पिता, माता, पति, या... पर अब और निर्भर नहीं नहीं। पूरी तरह से कृष्ण पर निर्भर। एकांत। यह उत्कृष्टता है। जो पूरी तरह से आश्वस्त है कि 'कृष्ण हमारे साथ है...' ईश्वरः सर्व-भूतानां ह्रद-देशे अर्जुन तिष्ठति (भ.गी १८.६१ )-'मुझे कृष्ण की खोज कहीं भी नहीं करनी पड़ेगी। वह मेरे भीतर है, मेरे ह्रदय में स्तिथ है'।"
731227 - प्रवचन श्री.भा. ०१.१५.५० - लॉस एंजेलेस