HI/750724 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"ईश्वर: सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति। (भ.गी. १८.६१): ' प्रिय अर्जुन, भगवान सबके हृदय में स्थित हैं।' वह वहाँ क्यों स्थित है? क्योंकि वह हैं सुहृदं सर्वभूतानां (भ.गी. ५.२९)। हम ईश्वर के पुत्र हैं। उन्हें बहुत खेद है कि अनावश्यक रूप से हम इस ब्रह्मांड के भीतर भटक रहे हैं और विभिन्न प्रकार के शरीर में पीड़ित हैं, और यह चल रहा है। तो ईश्वर, वह बहुत शुभचिंतक है, दोस्त। वह केवल आपकी ओर मुंह करने की कोशिश कर रहे हैं। यह बात है। ईश्वर: सर्वभूतानां (भ.गी. १८.६१)। उन्होंने थोड़ी स्वतंत्रता दी है, इसलिए आप जो चाहें करें। लेकिन वह बस मौका ले रहे हैं, ' यह मूढ कब मेरी ओर मुड़ेगा?' यह उनका व्यवसाय है। वैदिक शास्त्र में कहा गया है, कि दो पक्षी एक ही पेड़ पर बैठे हैं। एक फल खा रहा है, और दूसरा बस साक्षी है। इसलिए खाने वाला पक्षी जीवात्मा, व्यक्तिगत आत्मा है, और साक्षी पक्षी ईश्वर, परमात्मा हैं।"
750724 - प्रवचन श्री.भा. ०६.०१.४३ - लॉस एंजेलेस