HI/770126b बातचीत - श्रील प्रभुपाद जगन्नाथ पुरी में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
तो हमें भक्ति पंथ को सही दिशा में आत्मसात करना चाहिए, और अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए, हमें इस ज्ञान को, इस पंथ को, पूरे विश्व में वितरित करना चाहिए। यह चैतन्य महाप्रभु का आंदोलन है। जन्म सार्थक करि, कर परोपकार। आधुनिक सभ्यता अत्यंत भ्रष्ट सभ्यता है। क्योंकि मनुष्य जीवन में, परम सत्य के विषय में जिज्ञासा करने का अवसर होता है- अथातो बह्म-जिज्ञासा। इसलिए यदि इसे नकारा जाता है ... यह ज्ञान भारत में उपलब्ध है। यदि इसे नकारा जाता है, तो यह बहुत अच्छी मानव सभ्यता नहीं है। तो मैं आप सभी से, विद्वानों से, पंडितों से, जो यहाँ उपस्थित हैं, अनुरोध करता हूँ कि इस आंदोलन, कृष्ण भावनामृत में सहयोग दें और इस प्रकार हम सभी संयुक्त रूप से जगन्नाथ पंथ के लिए कार्य करें। "
770126 - बातचीत Address - जगन्नाथ पुरी