HI/Prabhupada 0193 - हमारा यह पूरा समाज इन किताबों को सुन रहा है



Room Conversation with Professor Durckheim German Spiritual Writer -- June 19, 1974, Germany

डॉ. पी. जे सहर: तो कृपया आप अागे विस्तार से बताऍगे तरीका..... हम परमेश्वर का नाम जपते हैं , तो कृपया आप अागे विस्तार से बताऍगे, किस तरह से, या क्या अाता है..... (जर्मन) इसके अलावा क्या करना होगा या यह कैसे इसमे शामिल है, अापके पुरे भक्तियुक्त शिक्षण प्रणाली में?

प्रभुपाद: हाँ। यह भक्ति-मार्ग है, इसका मतलब है, पहली बात है श्रवणम, सुनना । जैसे यह पुस्तकें लिखी जा रही हैं लोगों को सुनने का मौका देने के लिए। यह पहला काम है । अगर हम भगवान के बारे में सुनते नहीं है, तो हम बस कुछ कल्पना करते हैं । नहीं । हमें भगवान के बारे में सुनना होगा । हम इस तरह अस्सी किताबें प्रकाशित कर रहे हैं, केवल भगवान के बारे में सुनने के लिए । तो जब तुम अच्छी तरह से तो सुनोगे तो तुम दूसरों को वर्णन कर सकते हो । यही कीर्तनम कहा जाता है । श्रवणम, कीर्तनम । और जब यह प्रक्रिया चलती है सुनना और जपना या वर्णन करना, कीर्तनम का मतलब है वर्णन करना । जैसे हमारा यह पूरा समाज इन किताबों को सुन रहा है और वे वर्णन कर रहे हैं बाहर जाकर । इसे कीर्तन कहते हैं । फिर इन दोनों प्रक्रिया के द्वारा, सुनना और जपना, तुम याद करते हो, स्मरणम । इसका मतलब है याद करना, तुम हमेशा भगवान के सम्पर्क में हो ।

डॉ. पी. जे सहर: तो हर समय, "मुझे याद करो ।" प्रभुपाद: हाँ । हां । श्रवणम कीर्तनम विष्णो स्मरणम पाद-सेवनम (श्रीमद भागवतम ७.५.२३) | फिर, अर्च विग्रह की पूजा करना, प्रभु के कमल चरणों में फूल अर्पित करना, माला बनाना, पोशाक पहनाना, पाद-सेवनम, अर्चनम् वन्दनम, प्रार्थना करना, दास्यम, सेवा । इस तरह, नौ विभिन्न प्रक्रियाऍ हैं ।

डॉ. पी जे सहर: हमारे ईसाई धर्म में एक ऐसी ही बात है, समानांतर..... (जर्मन)

प्रभुपाद: हाँ । ईसाई विधि, प्रार्थना करना । यही भक्ति है, यही भक्ति है । (जर्मन) कली-युग का मतलब है लड़ाई । कोई भी सच्चाई को समझने में दिलचस्पी नहीं रखता है, लेकिन वे सिर्फ लड़ते हैं । "मेरी राय में, यह ।" मैं कहता हूँ । " यह मेरी राय है.", तुम कहते हो, "उसकी राय है।" तो कई मूर्ख राय और लड़ाई अपने बीच ही । यह युग है एसा । कोई मानक राय नहीं । हर किसी की अपनी राय है । इसलिए लड़ाई होगी ही । हर कोई कहता है "मुझे इस तरह लगता है ।" तो तुम्हारा क्या मूल्य है, तुम्हारा एसा सोचना? यही कली-युग है । क्योंकि तुमको कोई मानक ज्ञान नहीं है । अगर एक बच्चा पिता को कहता है, "मेरी राय में, आपको इस तरह से करना चाहिए ।" तो क्या यह राय ली जानी चाहिए? अगर उसे बात पता नहीं है, तो कैसे वह अपनी राय दे सकता है? लेकिन यहाँ, इस युग में, हर कोई अपनी राय के साथ तैयार है । इसलिए लड़ाई, झगड़ा । जैसे संयुक्त राष्ट्र की तरह, सभी बड़े आदमी एकजुट बनने के लिए वहाँ जाते हैं, लेकिन वे झंडे में वृद्धि कर रहे हैं । बस । लड़ाई, यह समाज है केवल लड़ने के लिए । पाकिस्तान, हिंदुस्तान, अमेरिका, वियतनाम । यह एकता के लिए था, लेकिन यह लड़ने का संघ बन जाता है । बस । सब कुछ । क्योंकि हर कोई अपूर्ण है, हर किसी को सही ज्ञान देना चाहिए । जर्मन

स्त्री: आपका मतलब है कली-युग हर समय मौजूद है?

प्रभुपाद: नहीं, यह वह अवधि है जब मूर्ख आदमी विकसित करते हैं ... (तोड़) बजाय समाधान ढुढने के लड़ाई बढ़ती है । क्योंकि उन्हे कोई मानक ज्ञान नहीं है । इसलिए यह ब्रह्म सूत्र कहता है कि तुम्हे उत्सुक होना चाहिए निरपेक्ष सत्य के बारे में पूछताछ करने के लिए । अथातो ब्रह्म जिज्ञासा । अब जवाब, अगला कथन है, वह ब्रह्म, या निरपेक्ष सत्य वह है जिससे या जिनसे सब कुछ आया है । अथातो ब्रह्म जिज्ञासा जन्मादि अस्य यत: (श्रीमद भागवतम १.१.१) । अब तुम्हे पता लगाना है कहाँ है ... हर कोई पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि बुनियादी कारण क्या है । यही उद्देश्य होना चाहिए । अगर तुम इन दार्शनिक उद्धरणों का पालन करो तो तुम्हारी लड़ाई बंद हो जाएगी । तुम शांत हो जाअोगे । यह श्लोक भी अथातो जिज्ञासा ।

अथातो जिज्ञासा का मतलब है निरपेक्ष सत्य के बारे में पूछताछ करना । बैठ जाओ, क्योंकि पुरुषों का एक वर्ग होना चाहिए, बहुत बुद्धिमान वर्ग, पुरुषों के समाज में, जो निरपेक्ष सत्य के बारे में चर्चा कर रहे हैं, और वे दूसरों को सूचित करेंगे "यह पूर्ण सत्य है, मेरे प्यारे दोस्तों, मेरे प्रिय ..." इस तरह से यह करना चाहिए । यही जरूरी है । लेकिन यहाँ हर कोई परम सत्य है । यही लड़ाई है ।