HI/Prabhupada 0285 - एक मात्र प्रेम के वस्तु कृष्ण हैं और उनकी भूमि वृन्दावन है



Lecture -- Seattle, September 30, 1968

तो कृष्ण चराई भूमि पर जाया करते थे, और गोपियॉ, घर पर ... वे लड़कियॉ या महिलाऍ थी । वे ... महिलाऍ या लड़कियों को काम करने की अनुमति नहीं थी । यह वैदिक प्रणाली है । उन्हे घर पर रखना चाहिए, और उन्हे संरक्षण दिया जाना चाहिए पिता द्वारा, पति, या बुजुर्ग बेटों द्वारा । वे बाहर जाने के लिए नहीं बने थे । तो वे अपने को घर पर रखते हैं । लेकिन कृष्ण थे, मान लीजिए, मीलों दूर चराई जमीन में, और गोपियॉ घर पर सोच रहीं हैं, "ओह, कृष्ण के पैर बहुत नरम हैं । अब वे कठोर रस्तों पर चल रहे हैं । पत्थर के कण उनको चुभ रहे हैं । तो उन्हें कुछ दर्द महसूस हो रहा होगा ।"

इस तरह से सोच कर, वे रोते थे । जरा देखो । कृष्ण मीलों दूर हैं, और कृष्ण क्या महसूस कर रहे हैं, वे केवल इसके बारे में सोच रही हैं: "कृष्ण इस तरह से महसूस कर रहे होंगे ।" यह प्रेम है । यह प्रेम है । वे कृष्ण से नहीं कह रहे हैं, " मेरे प्यारे कृष्ण, आप चराई जमीन से मेरे लिए क्या लाए हैं ? कैसे है अापकी जेब? मुझे देखने दो । " नहीं । केवल कृष्ण को याद करके, कैसे कृष्ण संतुष्ट होंगे । वे खुद को तैयार करती थीं, क्योंकि ... और कृष्ण के सामने जाते थे अच्छी पोशाक के साथ, "ओह, वे देख कर खुश हो जाएँगे ।" आम तौर पर, एक लड़का है या एक आदमी अपने प्रेमी या पत्नी को अच्छी तरह कपड़े पहने देख कर खुश हो जाता है ।

यही है, इसलिए, यह अच्छी पोशाक पहनना महिला की प्रकृति है । और वैदिक प्रणाली के अनुसार, एक औरत को उसके पति को संतुष्ट करने के लिए बहुत अच्छी तरह से तैयार होना चाहिए । यही वैदिक प्रणाली है । अगर उसका पति घर पर नहीं है, तो उसे अच्छी तरह से तैयार नहीं होना चाहिए । ये रोक हैं । प्रोशित भार्तृका । महिलाअों के अलग अलग कपड़े हैं । पोशाक को देख कर हम समझ सकते हैं कि वह क्या है । हम पोशाक देखकर समझ सकते हैं कि वह अविवाहित लड़की है । हम पोशाक को बस देख सकते हैं कि वह विवाहित पत्नी है । हम पोशाक से देख सकते हैं कि वह विधवा है । हम पोशाक से देख सकते हैं कि वह वेश्या है । तो पोशाक बहुत महत्वपूर्ण है ।

तो प्रोशित भार्तृका । तो हम सामाजिक के बारे में चर्चा नहीं करेंगे । हम कृष्ण के प्रेम संबंधों के बारे में चर्चा कर रहे हैं । तो गोपियॉ ... कृष्ण और गोपियॉ, रिश्ता इतना घनिष्ठ था और विशुद्ध था कि कृष्ण ने स्वयं स्वीकार किया है कि "मेरी प्रिय गोपियों, यह मेरे हाथ में नहीं है कि मैं तुम्हारा ऋण चुका सकूँ तुम्हारे प्यार के बदले ।" कृष्ण पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान हैं । वे दिवालिया हो गए, कि "मेरी प्रिय गोपिया, यह मेरे लिए संभव नहीं है तुम्हारे ऋण को चुकाना जो तुमने चढाया है मुझसे प्रेम करके । "

तो यह प्रेम की उच्चतम पूर्णता है । रम्या काचिद उपासना व्रजवधू । मैं सिर्फ भगवान चैतन्य के मिशन का वर्णन कर रहा हूँ । वे हमें निर्देश दे रहे हैं, उनका मिशन, कि एकमात्र प्रेम के वस्तु कृष्ण हैं और उनकी भूमि वृन्दावन है । और उनसे प्यार करने की प्रक्रिया का ज्वलंत उदाहरण गोपियॉ हैं । कोई नहीं पहुंच सकता है । भक्तों के विभिन्न चरण हैं, और माना जाता है कि गोपियॉ सर्वोच्च मंच पर हैं । और गोपियों में, परम राधारानी हैं । इसलिए कोई भी राधारानी के प्रेम को पार नही कर सकता है । रम्या काचिद उपासना व्रजवधू वर्गेण या कल्पिता, श्रीमद-भागवतम अमलम पुराणम ।

अब यह सीखने के लिए, यह सब विज्ञान भगवान को प्रेम करने के लिए, कुछ किताब होनी चाहिए, कुछ आधिकारिक साहित्य । हां । चैतन्य महाप्रभु कहते हैं, श्रीमद-भागवतम अमलम पुराणम । श्रीमद-भागवतम, बेदाग वर्णन है यह समझने के लिए की कैसे भगवान से प्यार करें । कोई अन्य विवरण नहीं है । यह शुरू से सिखा रहा है कि कैसे भगवान से प्यार करें । जिन्होंने श्रीमद-भागवत का अध्ययन किया है, पहला श्लोक पहले स्कंध में जन्मादि अस्य यत:, सत्यम परम धीमहि (श्रीमद भागवतम १.१.१) | शुरुआत यह है कि, " मैं परम भगवान को अपनी विशुद्ध भक्ति प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिस से सब कुछ उत्पन्न होता है । " जन्मादि अस्य यत:, तो, यह है, तुम्हे पता है, एक महान वर्णन है । लेकिन, श्रीमद-भागवतम.... अगर तुम सीखना चाहते हो कि कैसे भगवान या कृष्ण से प्यार करें, तो श्रीमद-भागवतम का अध्ययन करो । और श्रीमद-भागवतम को समझने के लिए, प्रारंभिक अध्ययन भगवद गीता है ।

तो भगवद गीता का अध्ययन करो वास्तविक प्रकृति को समझने के लिए, भगवान की और ख़ुद की और आपके भगवान के साथ सम्बन्ध की पहेचान की लिए, और फिर, जब तुम थोड़ा परिचित हो जाते हो, जब तुम तैयार हो जाते हो, कि "हाँ, कृष्ण एकमात्र प्रेम के वस्तु हैं," तो अगली किताब तुम लो, श्रीमद-भागवतम । और तुम चलते चलो । जैसे भगवद गीता यथार्थ, प्रवेश द्वार है । जैसे छात्रों की तरह, वे अपने स्कूल की परीक्षा को पास करके कॉलेज में प्रवेश करते हैं । तो तुम अपने स्कूल की परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाअो, भगवान से प्यार कैसे करें, भगवद गीता यथार्थ का अध्ययन करके । फिर श्रीमद-भागवतम का अध्ययन करो, और ... यह स्नातक अध्ययन है । अौर जब तुम आगे उन्नत हो जाते हो, अनु-स्नातक, तो भगवान चैतन्य की शिक्षाओं का अध्ययन करो ।