HI/Prabhupada 0324 - इतिहास का मतलब है प्रथम श्रेणी के आदमी की गतिविधियों को समझना



Lecture on SB 6.1.20 -- Chicago, July 4, 1975

और यह कुरुक्षेत्र धर्म-क्षेत्र है । इसलिए नहीं कि लडाई उधर हुई थी अौर कृष्ण युद्ध के मैदान पर थे, इसलिए उश्रे धर्म-क्षेत्र कहा जाता है । कभी कभी उस तरह से उसकी व्याख्या की जाती है । लेकिन असल में कुरुक्षेत्र बहुत, बहुत लंबे समय से धर्म-क्षेत्र था । वेदों में कहा गया है, कुरु-क्षेत्रे धर्मान अाचरेत: "अगर कोई कर्मकांड समारोह निष्पादित करना चाहता है, उसे कुरुक्षेत्र जाना चाहिए ।" अौर भारत में अब भी व्यह यवस्था है, अगर दो पक्षों के बीच कुछ असहमति या झगड़ा है, तो अभी भी वे मंदिर जाऍगे - मंदिर धर्म-क्षेत्र है - ताकि अर्च विग्रह के सामने कोई झूठ बोलने की हिम्मत नहीं कर सकता है । यह अभी भी चल रहा था । चाहे निम्न सोच वाला व्यक्ति क्यों न हो, फिर भी, अगर उसे चुनौती दी जाती है कि "तुम यह झूठ बोल रहे हो । अब अर्च विग्रह के सामने बोलो," वह संकोच करेगा, " नहीं।" यह अभी भी भारत में है । तुम अर्च विग्रह के सामने झूठ नहीं बोल सकते । वह अपराध है । यह मत सोचो की अर्च विग्रह एक संगमरमर की प्रतिमा है । नहीं । स्वयं भगवान हैं । जैसे चैतन्य महाप्रभु की तरह । जैसे ही उन्होंने जगन्नाथ अर्व विग्रह को देखा, वे तुरंत बेहोश हो गए । "ओह, यहाँ मेरा भगवान हैं ।" हमारी तरह नहीं : "ओह, यहाँ कोई प्रतिमा है ।" नहीं । यह प्रशंसा का प्रश्न है ।

तो तुम सराहना करते हो या नहीं करते हो, अर्च विग्रह व्यक्तिगत रूप से पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान हैं । हमें हमेशा याद रखना चाहिए । इसलिए हमें अर्च विग्रह के सामने बहुत सावधान रहना होगा, अपराध न करने के लिए । उनकी सेवा में, उनको प्रसादम प्रदान करने में, उनको तैयार करने में, हमें हमेशा सोचना चाहिए "यहाँ व्यक्तिगत रूप से श्री कृष्ण हैं ।" वे व्यक्तिगत रूप से हैं, लेकिन हमारे ज्ञान की कमी के कारण, हम यह नहीं समझ सकते हैं । इसलिए शास्त्र में हर चीज़ का हमें पालन करना चाहिए । यही ब्राह्मणवादी संस्कृति कहा जाता है । यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन का अर्थ है ब्राह्मणवादी संस्कृति - प्रथम श्रेणी के पुरुषों की सांस्कृतिक प्रदर्शनी, प्रथम श्रेणी के पुरुष । ब्राह्मण को मानव समाज में प्रथम श्रेणी के व्यक्ति के रूप में समझा जाना चाहिए । इसलिए कृष्ण कहते हैं, चातुर वर्ण्यम मया सृष्टम गुण कर्म विभागश: (भ.गी. ४.१३) | इतिहास, इतिहास का मतलब है प्रथम श्रेणी के आदमी की गतिविधियों को समझना । यही इतिहास है ।

वे सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं को उठाते हैं । इसलिए यहाँ उदाहरण दिया गया है कि उदाहरन्ति इमम् इतिहासम पुरातनम | क्योंकि यह एक प्रथम श्रेणी की घटना है ... अन्यथा, अगर तुम पूरी अवधि के इतिहास को रिकॉर्ड करते हो, तो कहां, कौन पढ़ेगा, और कौन उसकी सराहना करेगा, और कहां तुम उसको रखोगे? रोज़ कई बातें होती हैं । इसलिए, वैदिक प्रणाली के अनुसार, केवल महत्वपूर्ण घटनाऍ इतिहास में दर्ज हैं । इसलिए यह पुराण कहा जाता है । पुराण का मतलब है पुराना इतिहास । पुरातनम् । पुरातनम् का मतलब है बहुत, बहुत पुराना । यही दर्ज किया जाता है । तो यह श्रीमद-भागवतम बहुत पुराने इतिहास का संग्रह है, ऐतिहासिक घटनाओं का । इतिहास पुराणानाम् सारम सारम समुद्धृत्य | सारम का मतलब है सार । एसा नहीं है सब बकवास रिकॉर्ड लेने की जरूरत है । नहीं । सारम, सारम, केवल महत्वपूर्ण, सार, जो दर्ज होने चाहिए । यह भारतीय इतिहास कहा जाता है । महाभारत ... महा का मतलब है महान भारत । महान भारत, कई घटनाऍ हुई वहाँ, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण घटना, कुरुक्षेत्र की लड़ाई, वहाँ है । एसा नहीं कि सभी लड़ाइयों को दर्ज किया जाना चाहिए ।