HI/Prabhupada 0348 - अगर पचास साल हम केवल हरे कृष्ण मंत्र का जाप करते हैं, वह पूर्ण होगा यकीनन



Lecture on BG 7.14 -- Hamburg, September 8, 1969

अंग्रेजी लड़का: क्या इस जीवन में यह संभव है? इस एक ? क्या संभव है कि कोई नीचे गिर जाता है ?

प्रभुपाद: यह एक सैकंड में संभव है, अगर तुम गंभीर हो । यह मुश्किल नहीं है । कृष्ण भक्ति ... बहुनाम जन्मनाम अन्ते ज्ञानवान माम प्रप्द्यते (भ.गी. ७.१९) "कई जन्मों के बाद, जब कोई बुद्धिमान होता है, बुद्धिमान, पूरी तरह से, बुद्धिमान, वह मेरी शरण में आता है," कृष्ण कहते हैं । तो अगर मैं बुद्धिमान हूँ, तो मैं देखता हूँ कि "अगर यह जीवन का लक्ष्य है, कि कई जन्मों के बाद हमें कृष्ण की शरण में जाना है, क्यों न मैं स्वयं तुरंत आत्मसमर्पण करूँ ?" यह बुद्धिमत्ता है । अगर यह एक तथ्य है, कि हम इस बात पर पहुँचे हैं कि, कई, कई जन्मों के ज्ञान विकसित करने के बाद, तो क्यों न इसे तुरंत स्वीकार करें ? तो क्यों मैं बहुत, कई जन्मों तक इंतजार करूँ अगर यह एक तथ्य है ? तो इसके लिए बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है । कई, कई जन्मों की आवश्यकता नहीं है । थोड़ी बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है । इस कृष्णभावनामृत को गंभीरता से लो, तुम्हारी समस्याओं का हल हो जाएगा । अब अगर तुम इस पर विश्वास नहीं करते हो, तो तर्क पर अाअो, तत्वज्ञान पर अाअो, विवेक बुद्धि पर अाअो । तुम तर्क करते जाअो । पुस्तकों की काफी मात्रा है । आश्वस्त रहो । तुम यह सीख सकते हो । हर जवाब भगवद्गीता में है । तुम अपने तर्क के साथ सीखने की कोशिश कर सकते हो, अपने कारण दे कर । यह खुला है । (तोड़) अर्जुन की तरह ।

अर्जुन को भगवद्गीता सिखाई गई थी, कितने समय में ? ज़्यादा से ज़्यादा, आधे घंटे के भीतर । क्योंकि वह बहुत बुद्धिमान थे । यह भगवद्गीता, दुनिया भर के लोग पढ़ रहे हैं । बहुत, बहुत विद्वान, बुद्धिमान पुरुष, वे पढ़ रहे हैं । वे समझने की कोशिश कर रहे हैं, अलग अर्थघटन देकर । हजारों संस्करण हैं, टिप्पणियाँ । लेकिन अर्जुन बुद्धिमान थे, वह आधे घंटे के भीतर समझ गए । तो इसके लिए बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है । सब इस दुनिया में सब कुछ सापेक्ष है । सापेक्षता का कानून । यही वैज्ञानिक है । प्रोफेसर आइनस्टीन का सिद्धांत ? सापेक्षता का कानून ? तो यह सापेक्ष है । हम क्षणभर में कृष्णभावनामृत बन सकते हैं, और कोई कई जन्मों के बाद भी कृष्णभावनामृत नहीं बन पाता । तो यह सापेक्ष है । अगर तु्म्हारे पास पर्याप्त बुद्धिमत्ता है, तो तुम इसे तुरंत स्वीकार कर सकते हो । अगर कम बुद्धि है, तो समय लगेगा । तुम नहीं कह सकते कि, " यह इतने-इतने सालों के बाद संभव हो जाएगा ।" यही नहीं कहा जा सकता । यह सापेक्ष है ।

सब कुछ सापेक्ष है । एक इंसान के लिए, यहाँ से वहाँ के लिए, एक कदम; और एक छोटे से सूक्ष्म जीव के लिए, यह दस मील है यहाँ से वहाँ, उसके लिए दस मील । तो सब कुछ सापेक्ष है । यह दुनिया सापेक्ष दुनिया है । इस तरह का कोई सूत्र नहीं है कि, "इतने सालों के बाद कृष्ण भावनाभावित होंगे । " नहीं । ऐसा कोई सूत्र नहीं है । कोई व्यक्ति लाखों जन्मों के बाद भी कृष्ण भावनाभावित नहीं बन सकता, और कोई एक क्षण में कृष्णभावना भावित बन जाता है । लेकिन दूसरी अोर, हम इस जीवन में कृष्णभावनामृत में आदर्श बन सकते हैं अगर हम इसे गंभीरता से लेते हैं । विशेष रूप से तुम सभी युवा लड़के हो । हमें उम्मीद है कि कम से कम तुम पचास साल अौर अधिक जीअोगे । ओह, यह पर्याप्त समय है । पर्याप्त । पर्याप्त से अधिक । पर्याप्त से अधिक । अगर पचास साल हम केवल हरे कृष्ण मंत्र का जप करते हैं, हरे कृष्ण, वह निश्चित रुप से पूर्ण हो जाएगा । इसके बारे में कोई संदेह नहीं है । केवल अगर वह इस मंत्र का जप करे, हरे कृष्ण, ओह, इसमें कोई संदेह नहीं है ।