HI/Prabhupada 0366 - आप सभी लोग, गुरू बनें लेकिन बकवास बात न करें



Lecture on SB 6.1.21 -- Honolulu, May 21, 1976

तो, चैतन्य महाप्रभु द्वारा नवीनतम एलान: कृष्णस तु भगवान स्वयम (श्रीमद भागवतम १.३.२८) | यारे देख तारे कह कृष्ण उपदेश (चैतन्य चरितामृत मध्य ७.१२८) । चैतन्य महाप्रभु का, यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन प्रचार, यह प्रचार क्या है? वे कहते हैं, "आप में से हर एक गुरु बन जाअो ।" वे बदमाश नकली गुरू नहीं चाहते, लेकिन असली गुरू चाहते हैं । यह वे चाहते हैं । क्योंकि लोग अंधेरे में हैं, इसलिए हमें उन्हें समझाने के लिए कई लाखों गुरुओं की आवश्यकता होती है । इसलिए चैतन्य महाप्रभु का मिशन, उन्होंने कहा, कि "आप में से हर एक गुरु बन जाअो ।"

अामार अाज्ञाय गुरु हय तार एइ देश । आपको विदेशी देशों में जाने की जरूरत नहीं । जहॉ भी अाप हैं, आप सिखाअो, गुरू बन जाअो । इससे कोई फर्क नहीं पड़ता । वे कहते हैं, एइ देश । अगर आपके पास शक्ति है, तुम दूसरे देश में जा सकते हो, लेकिन यह जरूरी नहीं है । किसी भी गांव में, जिस भी देश या शहर में आप हैं, आप एक गुरु बन जाअो । यह चैतन्य महाप्रभु का मिशन है । अामार अाज्ञाय गुरु हय तार एइ देश । "यह देश, यह जगह ।"

तो, "लेकिन मेरी कोई योग्यता नहीं है । कैसे मैं गुरु बन सकता हूँ ?" योग्यता की कोई जरूरत नहीं है । "फिर भी मैं गुरु बन सकता हूँ ?" हां । "कैसे?" यारे देख तारे कह कृष्ण-उपदेश: (चैतन्य चरितामृत मध्य ७.१२८) "जिससे भी अाप मिलो, अाप बस कृष्ण ने जो कहा है वह निर्देश दो । बस। आप गुरु बन जाते हो । " हर कोई गुरु बनने के लिए बहुत उत्सुक है, लेकिन बदमाश को पता नहीं है कि कैसे गुरु बना जाता है, एक साधारण बात । कई गुरु इस देश में भारत से अाते हैं, सभी बदमाश, लेकिन वे कृष्ण नें जो निर्देश दिया है यह बात नहीं करेंगे । शायद पहली बार इस कृष्ण भावनामृत में यह शुरू हुअा है । वरना सब दुष्ट, उन्होंने कुछ और निर्देश दिया, कुछ ध्यान, यह, वह, सब धोखा है ।

असली गुरू वह है जो कृष्ण ने जो कहा है वही प्रचार करता है । यह नहीं कि अाप अपना शिक्षण निर्माण करते हो । नहीं । यही चैतन्य महाप्रभु हैं । निर्माण की कोई जरूरत नहीं है । अनुदेश वहाँ पहले से ही है । अापको बस कहना है, "यह यह है ।" बस । क्या यह बहुत मुश्किल काम है? पिता ने कहा, "यह माइक्रोफोन है । " एक बच्चा कह सकता हैं कि "पिताजी नें कहा यह माइक्रोफोन है ।" वह गुरु हो जाता है । कहां कठिनाई है? प्राधिकरण, पिता ने कहा है, "यह माइक्रोफोन है ।" एक बच्चा केवल कह सकता है, "यह माइक्रोफोन है ।" तो इसी तरह, कृष्ण का कहना है कि, "मैं परम भगवान हूँ ।"

तो अगर मैं कहूँ, "कृष्ण परम भगवान हैं ", कहां है मेरी कठिनाई, जब तक मैं ख़ुद कृष्ण या परम भगवान बनने के लिए दूसरों को धोखा देना चाहता तो वो अलग बात है | यह धोखा है । लेकिन अगर मैं सरल सच कहता हूँ, कि, "कृष्ण पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान हैं । वे सभी के मालिक हैं । वे पूजनीय हैं । तो कहां है मेरी कठिनाई ? तो यह हमारा मिशन है । अाप लोग जो कृष्ण भावनामृत आंदोलन में आए हैं, यह हमारा अनुरोध है, कि आप, आप सभी, गुरू बनें लेकिन बकवास बात न करें । यही अनुरोध है । बस कृष्ण ने जो कहा है वही बोलें । तो फिर अाप ब्राह्मण हो जाते हो । आप गुरु बन जाअोगे, और सब कुछ । बहुत बहुत धन्यवाद ।