HI/Prabhupada 0489 - तो सड़क पर जप करके, तुम मिठाइयों का वितरण कर रहे हो



Lecture -- Seattle, October 18, 1968

विष्णुजन: जब हम हमारा जप कर रहे हैं, या हम जोरों से कीर्तन करते हैं, हमारे दिमाग को सोच में लगाना सही है?

प्रभुपाद: यह नहीं होता है?

विष्णुजन: वह पहले से ही...

प्रभुपाद: यह व्यावहारिक तरीका है । आप तुम सोच नहीं रहे हो, तो जप तुम्हें उन के (कृष्ण के) बारे में सोचने पर मजबूर करेगा । आप देखते हो ? कृष्ण की ध्वनि, बल पूर्वक । जप इतना अच्छा है । और यह इस युग का व्यावहारिक योग है । तुम ध्यान नहीं कर सकते हो । तुम्हारा मन इतना परेशान है, तुम अपने मन का ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते हो । इसलिए मंत्र जपो, और ध्वनि कंपन से, यह जबरन तुम्हारे मन में प्रवेश करेगा । भले ही तुम कृष्ण को नहीं चाहते हो, श्री कृष्ण तुम्हारे मन के भीतर प्रवेश करेंगे । बल पूर्वक । यह सबसे आसान प्रक्रिया है । तुम्हे प्रयास करने की आवश्यकता नहीं है । कृष्ण आ रहे हैं । यह बहुत अच्छी प्रक्रिया है । इसलिए इस युग के लिए यह सिफारिश की गई है । और दूसरे भी लाभान्वित होंगे ।

तुम जोर से मंत्र जपो । दूसरे जो आदी नहीं हैं, वे भी करेंगे, कम से कम... जैसे सड़क पर, पार्क में, वे कहते हैं, "हरे कृष्ण !" उन्होंने कैसे सीखा? इस जप को सुन कर । बस । कभी कभी बच्चे, जैसे ही वे हमें देखते हैं, वे कहते हैं "ओह, हरे कृष्ण !" मॉन्ट्रियल में बच्चे, जब मैं सड़क पर चल रहा था, सभी बच्चे, दुकानदार, वे कहेंगे "हरे कृष्ण !" और बस । इसलिए हमनें उनके मन के भीतर हरे कृष्ण को जबरन डाल दिया है । अगर तुम योग का अभ्यास करते हो, ध्यान, तो यह तुम्हारे लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन ये कई अन्य लोगों के लिए भी फायदेमंद है । मान लो कुछ अच्छा, तुम आनंद ले रहे हो, कुछ मिठाइयाँ - यह एक चरण है । लेिकन अगर तुम मिठाइयाँ वितरित करते हो, यह एक और चरण है । तो सड़क पर जप करके, सड़क पर, तुम मिठाइयों का वितरण कर रहे हो । (हंसी) तुम कंजूस नहीं हो, की तुम अकेले खाओ । तुम इतने उदार हो कि तुम दूसरों को बांट रहे हो । अब मंत्र जपो, वितरित करो । (हंसी) ।