HI/Prabhupada 0609 - तुम कई हो जो हरे कृष्ण का जाप कर रहे हो । यही मेरी सफलता है



Arrival Lecture -- Los Angeles, May 18, 1972

तो मेरे प्यारे लड़के और लड़कियों, छह साल पहले मैं अापके देश में आया था, अकेले, इन करतालों के साथ । अब तुम कई हो जो हरे कृष्ण का जप कर रहे हो । यही मेरी सफलता है । यह भगवान चैतन्य महाप्रभु की भविष्यवाणी थी:

पृथ्विते अाछे यत नगरादि ग्राम,
सर्वत्र प्रचार होइबे मोर नाम
(चैतन्य भागवत अन्त्य खंड ४.१२६)

भगवान चैतन्य की इच्छा थी कि "सभी गाओ में, दुनिया की सतह पर जितने शहर और गांव हैं, मेरा नाम प्रसारित किया जाएगा ।" वे कृष्ण खुद हैं, स्वयम कृष्ण, कृष्ण चैतन्य-नामिने, बस कृष्ण चैतन्य के रूप में अपना नाम बदल रहे हैं । तो उनकी भविष्यवाणी व्यर्थ नहीं जाएगी । यह एक तथ्य है । तो मेरी योजना थी की "मैं अमेरिका जाऊँगा । अमेरिका दुनिया का अग्रणी देश है । अगर मैं अमेरिका की युवा पीढ़ी को विश्वास दिला सकता हूँ, वे उसे अपना लेंगे ।" मैं बूढ़ा आदमी हूँ । मैं सत्तर वर्ष की उम्र में यहां आया था, अब मैं छिहत्तर का हूँ । तो मेरे लिए चेतावनी पहले से ही है । उन्नीस सौ सत्तर में, मुझे एक गंभीर दिल का दौरा पड़ा । तुम सभी जानते हो ।

तो चैतन्य महाप्रभु का मिशन अब तुम्हारे हाथों में है । तुम अमेरिकी लड़के और लड़कियॉ, बहुत बुद्धिमान और कृष्ण के कृपा पात्र हो । तुम गरीबी से त्रस्त नहीं हो । तुम्हारे पास पर्याप्त संसाधन है, प्रतिष्ठा है । भौतिक दृष्टि से सब कुछ है, तुम सभी अच्छी तरह से सुसज्जित हो । अगर तुम कृपया इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन को गंभीरता से लेते हो, तुम्हारा देश बच जाएगा, और पूरी दुनिया बच जाएगी ।