HI/Prabhupada 0753 - बड़े, बड़े आदमी उन्हें एक किताबों का समूह लेने दो और पढने दो



Room Conversation -- May 4, 1976, Honolulu

प्रभुपाद: तो ये सब बड़े, बड़े आदमी, उन्हें एक किताबों का एक सेट लेने दो और पढने दो | यह उनके लिए ज़रा भी खर्चा नहीं है, लेकिन उनके फ़ुरसत के समय में वे कुछ पंक्तिया पढेंगे - वे सभी बुद्धिमान पुरुष - उन्हे विचार प्राप्त होगा, यह कृष्ण भावनामृत क्या है | तो पिता के प्रभाव के माध्यम से, बस इन बड़े आदमीओ के हमारी किताबें प्रस्तुत करने का प्रयास करे | ऐसे नहीं की... वे उन्हें पुस्त्काल्य मे रख सकते है, और फ़िर फ़ुरसत के समय पर, अगर वे सिर्फ़ वाक्य पे नजर डालेंगे, ओह, यह बहुत अच्छा होगा...

द्रष्टद्युम्न: और उन्के पुत्र भी पढेंगे |

प्रभुपाद: उनके पुत्र भी पढ़ेंगे |

द्रष्टद्युम्न: पहले से ही मेरे पिता ने अपनी यात्रा में देखा है कि उनके कुछ दोस्त, उनके बेटे अब हमारे आंदोलन में शामिल हो गए है |

प्रभुपाद: यद यद आचरति श्रेष्ठ:​, लोकस तद अनुवर्तते (भ.गी. ३.२१) | अगर दुनिया के बडे आदमी ये ले लेते है, "ओह, हाँ | कृष्ण भावनामृत आंदोलन, वास्तविक है," तो स्वाभाविक रूप से दूसरे भी इसका पालन करेंगे | तो यहाँ दुनिया के एक बड़े आदमी से संपर्क करने के लिए एक अच्छा अवसर है | तोह इसका ठीक से उपयोग करो | तुम​... तुम दोनों बुद्धिमान हो | बहुत सावधानी से उन लोगों के साथ व्यवहार​ करो | उनको समज में आ जायेगा की "ओह​, ये लोग चरित्र से काफ़ी इमानदार है, और उच्च ज्ञान वाले है और भगवद भावनाभावित है |" वो हमारे आंदोलन को सफल बनाएगा |