HI/Prabhupada 0883 - अपनी आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिए अपना समय बर्बाद मत करो



Lecture on SB 1.8.21 -- New York, April 13, 1973

तो कृष्ण अपने भक्त के साथ माता और पिता के रूप में संबंधित होना पसंद करते हैं । इधर, इस भौतिक संसार में, हम परम के साथ पिता के रूप में संबंध को बनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन कृष्ण पुत्र बनना चाहते हैं । इसलिए नंद-गोप (श्रीमद भागवतम् १.८.२१) । वे एक भक्त का बेटा बनने में आनंद लेते हैं । आम आदमी, वे चाहते हैं भगवान को पिता के रूप में, लेकिन यह कृष्ण को बहुत भाता नहीं है । पिता इसका मतलब है, पिता बनने के लिए, मतलब, हमेशा परेशानी: "मुझे यह दो मुझे यह दो, मुझे यह दो ।" आप देखते हो । बेशक, कृष्ण की विशाल शक्तियाँ हैं आपूर्ति करने के लिए । एको यो बहुनाम विदधाति कामान । वह सभी की आपूर्ति कर सकते हैं उतना जितना वह चाहते हैं । वे हाथी के लिए भोजन की आपूर्ति कर रहे हैं । वह चींटी के लिए भोजन की आपूर्ति कर रहे हैं । क्यों नहीं इंसान के लिए ? लेकिन ये दुष्ट, वे नहीं जानते । वे रोटी पाने के लिए गधे की तरह दिन और रात काम कर रहे हैं । और अगर वह चर्च को जाता है, वहाँ भी: "मुझे रोटी दो ।" केवल रोटी की समस्या है । बस ।

हालांकि, जीव सबसे अमीर भव्य व्यक्ति का बेटा है, लेकिन उसने रोटी की समस्या पैदा कर दी है । यह अज्ञान कहा जाता है । वह सोचता है कि, "अगर मैं अपनी रोटी की समस्या का समाधान नहीं करुँगा, अगर मैं अपने ट्रकों को दिन और रात नहीं चलाऊँगा... (ट्रक की अावाज़ निकालते हुए, हँसी) कितनी बकवास सभ्यता है ये । आप देखते हो । रोटी की समस्या । कहाँ है रोटी की समस्या ? कृष्ण आपूर्ति कर सकते हैं । अगर वे अफ्रीका में हाथी के लिए भोजन की आपूर्ति कर सकते हैं - अफ्रीका में लाखों करोड़ों हाथी हैं, जैसा कि आप जानते हैं, और वे खाद्य आपूर्ति कर रहे हैं ।

भागवत कहता है कि इस रोटी की समस्या के लिए अपना समय बर्बाद नहीं करना । अपना समय बर्बाद मत करो । तस्यैव हेतो: प्रयतेत कोविदो न लभ्यते यद भ्रमताम उपरि अध: (श्रीमद भागवतम १.५.१८) । अपनी आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिए अपना समय बर्बाद मत करो । यह बकवास है । बेशक, यह बहुत क्रांतिकारी है । लोग मुझसे नफ़रत करेंगे । "स्वामीजी क्या बोल रहे हैं ?" लेकिन असल में यह तथ्य है । यह एक पागलपन है । अगर तुम्हारे पिता अमीर हैं, पर्याप्त भोजन है । तुम्हारी आर्थिक समस्या क्या है ? यह पागलपन है । कोई आर्थिक समस्या नहीं है । अगर तुम हो, तुम जानते हो कि, "मेरे पिता शहर के सबसे अमीर आदमी हैं," तो मेरी आर्थिक समस्या कहाँ है ? वास्तव में, यह स्थिति है । हमारी कोई आर्थिक समस्या नहीं है । सब कुछ है, पूर्ण ।

पूर्णम अद: पूर्णम इदम पूर्णात पूर्णम उदच्यते (ईशोपनिषद, मंगलाचरण) | वहाँ सब कुछ पूर्ण है । तुम्हें पानी चाहिए । देखो, पानी के महासागर हैं । तुम्हें शुद्ध पानी चाहिए । तुम नहीं कर सकते । हालांकि समुद्र का पानी इतना सारा है, जब पानी की कमी होती है, तुम्हें कृष्ण की मदद लेनी पड़ती है । वे पानी को भाप बनाएँगे, वे बादल बनाएँगे । फिर जब वह नीचे गिरता है, तब वह मीठा हो जाता है । वरना तुम छू नहीं सकते । सब कुछ नियंत्रण में है । सब कुछ भरा है - पानी, प्रकाश, गर्मी । सब कुछ पूर्ण है । पूर्णात पूर्णम उदच्यते पूर्णस्य पूर्णम अादाय पूर्णम एवावशिश्यते (ईशोपनिषद, मंगलाचरण) । उनका भंडार कभी समाप्त नहीं होता है । बस तुम आज्ञाकारी बनो और आपूर्ति हो जाती है ।

तुम समझ सकते हो । ये कृष्ण भावनामृत व्यक्ति, उन्हें कोई समस्या नहीं है, आर्थिक समस्या । सब कुछ कृष्ण द्वारा पर्याप्त रूप से आपूर्ति किया जाता हैं । लॉस एंजिल्स में, पड़ोसी, वे बहुत जलते हैं, कि, "तुम काम नहीं करते । तुम्हें कोई चिंता नहीं है । तुम्हारे पास चार गाड़िया हैं । तुम बहुत अच्छी तरह से खा रहे हो । यह कैसे ?" वे हमारे भक्तों से पूछताछ करते हैं । यह वास्तव में तथ्य है । हम इतना पैसा खर्च कर रहे हैं, हमारे कई केन्द्र हैं । गणना है की हम ७०,००० डॉलर खर्च कर रहे हैं । कौन आपूर्ति कर रहा है ? किसी न किसी तरह से, हमें मिल रहा है । तो कोई समस्या नहीं है । तुम बस कृष्ण के ईमानदार सेवक बन जाअो । सब कुछ है । यह परीक्षण है ।