HI/Prabhupada 0996 - मैंने तुम अमेरिकी लड़के अौर लड़कियों को रिश्वत नहीं दी थी मेरा अनुसरण करने के लिए



730406 - Lecture SB 02.01.01-2 - New York

प्रभुपाद: तो परीक्षित महाराज नें शूकदेव गोस्वामी से प्रश्न किया... "मेरा कर्तव्य क्या है ? अब मैं सात दिनों में मरने वाला हूँ, मेरा कर्तव्य क्या है ?" तो उन्होंने कृष्ण के बारे में पूछा क्योंकि परिक्षित महाराज, एक वैष्णव परिवार में पैदा हुए, अर्जुन के पौत्र... पांडव, वे वैष्णव हैं और कृष्ण के भक्त, इसलिए बचपन से ही उन्हें श्री कृष्ण की पूजा करने का मौका मिला । वे कृष्ण विग्रह के साथ खेल रहे थे, तो स्वाभाविक रूप से वे श्री कृष्ण के बारे में सुनने के लिए इच्छुक थे । तो उन्होंने पूछा, "मेरा कर्तव्य क्या है ? मैं केवल श्री कृष्ण के बारे में सुनु, या कुछ और ? "

तो यह सवाल सुनने पर, शुकदेव गोस्वामी बधाई देते हैं, वरीयान एष ते प्रश्न: (श्रीमद भागवतम २.१.१) "ओह, तुम्हारा सवाल बहुत अद्भुत है, बहुत स्वागत है, वरीयान ।" वरीयान मतलब "बहुत स्वागत है", जो मैंने दिया है, वरीयान । शानदार, हाँ । "शानदार प्रश्न:, क्योंकि तुमने श्री कृष्ण के बारे में पूछा है ।" तो वरीयान एष ते प्रश्न: कृतो लोक हितम नृप (श्रीमद भागवतम २.१.१) "मेरे प्यारे राजा, यह सवाल सर्व मंगल है दुनिया के सभी लोगों के लिए ।" अगर तुम केवल श्री कृष्ण के बारे में पूछते हो या श्री कृष्ण के बारे में सुनते हो, भले ही हम समझते नहीं हैं, लेकिन कृष्ण का जप... जैसे हम जप कर रहे हैं "हरे कृष्ण," हम हरे कृष्ण का अर्थ क्या है शायद यह समझ न सकें, लेकिन फिर भी, क्योंकि यह दिव्य ध्वनि है, यह शुभ है ।

जहॉ भी तुम हरे कृष्ण का जाप करते हो, वे सुने या न सुने, उनके लिए मंगल है । तो हम हमारे आदमीयों को भेज रहे हैं, सड़क पर संकीर्तन करने के लिए । कोई फर्क नहीं पड़ता है कि लोग इसे सुनने के लिए उत्सुक हैं या नहीं, लेकिन यह शुभ है । यह एक माहौल पैदा करेगा जो मानव समाज के लिए बहुत, बहुत सौहार्दपूर्ण है । यही हमारा सिद्धांत होना चाहिए । यह नहीं कि हम जप कर रहे हैं, कोई भी ख्याल नहीं कर रहा है, हम निराश नहीं होंगे । हमारा, यह संकीर्तन आंदोलन इतना अच्छा है कि केवल जप के द्वारा, यह जप एक शुभ वातावरण पैदा करेगा, वरीयान एष ते प्रश्न: (श्रीमद भागवतम २.१.१) ।

अब तुम व्यावहारिक रूप से देख सकते हो, जो पुराने सदस्य हैं... तो मैंने इस न्यूयॉर्क में शुरु किया उस स्टोर के सामने केवल जप करके । तो मैने तुम अमेरिकी लड़के और लड़कियों को रिश्वत नहीं दी थी मेरा अनुसरण करने के लिए । एकमात्र संपत्ति थी जप या कीर्तन । टोम्किंसन पार्क में, यह ब्रह्मानंद स्वामी वह पहली बार अाया मेरे मंत्र पर नृत्य करने के लिए । (हंसी) वह और अच्युतानन्द, यह हमारे कृष्ण भावनामृत आंदोलन का पहला नृत्य था । (हंसी) हाँ । और मेरे पास कोई मृदंग नहीं था । वह था, वह क्या है ?

भक्त: (अस्पष्ट) ड्रम ।

प्रभुपाद: ढोल, छोटा ड्रम । तो मैं हरे कृष्ण का जप कर रहा था, दो से पॉच, तीन घंटे, और इतने सारे लड़के और लड़कियॉ आ रहे थे और शामिल हो रहे थे, और टाइम्स में पहली तस्वीर छपी थी । न्यूयॉर्क टाइम्स, उन्होंने सराहना की, और लोगों ने भी सराहना की ।

तो यह जप, शुरुआत केवल जप था । कुछ नहीं था, इसके अलावा । उस समय प्रसाद वितरण का कोई कार्यक्रम नहीं था । वो, बाद में आया था । तो हमें हमेशा यह विश्वास होना चाहिए कि ये जप इस भौतिक दुनिया का जप नहीं है । यह भौतिक दुनिया का कंपन नहीं है । नरोत्तमदास ठाकुर कहते हैं, गोलोकेर प्रेम धन हरि-नाम-संकीर्तन । यह आध्यात्मिक दुनिया से लाया गया है । यह पूरी तरह से आध्यात्मिक है । अन्यथा यह कैसे संभव है ?

कभी कभी तथाकथित योगी, वे कहते हैं कि जप करना... बंबई में एक तथाकथित धूर्त है, वह कहता है, "हरे कृष्ण मंत्र का जप करना और कोका-कोला का जप करना एक ही बात है ।" वह इतना धूर्त है । वह जानता नहीं है कि यह जप इस भौतिक दुनिया का जप नहीं है । लेकिन जिसे ज्ञान नहीं है, वे एसा सोचते हैं "क्या है इस मंत्र का अर्थ, 'हरे कृष्ण, हरे कृष्ण' ?" लेकिन वे व्यावहारिक रूप से देख सकते हैं कि हम दिन और रात जप करते रह सकते हैं, फिर भी हम थकेंगे नहीं, लेकिन कोई भी भौतिक नाम तुम लो, तीन बार जपने के बाद तुम थकान महसूस करोगे । यही सबूत है । तुम दिन और रात जप करते रहो, तुम्हे थकान महसूस कभी नहीं होगी । तो ये लोग, बेचारे लोग, उनमे दिमाग़ नहीं है समझने के लिए ।