HI/Prabhupada 1038 - शेर का ख़ुराक दूसरा जानवर है । मनुष्य का ख़ुराक फल, अनाज, दूध की उत्पाद है



730809 - Conversation B with Cardinal Danielou - Paris

कार्डिनल डेनिलौ: तो मैं अापसे मिलकर बहुत प्रसन्न हूं...

प्रभुपाद: क्या मैं अापसे एक सवाल पूछ सकता हूं ? यीशु कहते हैं: "तुम मारोंगे नहीं ।" तो क्यों ईसाई लोग हत्या कर रहे हैं ?

कार्डिनल डेनिलौ: (फ्रेंच में पूछते है...)

योगेश्वर: (फ्रेंच में अनुवाद करते है)

कार्डिनल डेनिलौ: ईसाई धर्म में मारना मना है । निश्चित रूप से । लेकिन मुख्यतः हमारा मानना यह है कि आदमी के जीवन और जानवरों के जीवन में अंतर है । (फ्रेंच में) मनुष्य जीवन पवित्र है क्योंकि मनुष्य भगवान की छवि है । लेकिन उतना ही सम्मान हम नहीं करते हैं जानवरों का, जानवरों से, और हमारा मानना है कि जानवर आदमी की सेवाके लिए बने हैं और यह मनुष्य का अधिकार है, मनुष्य... हमारे लिए, प्रत्येक जीवन एक समान नहीं है । वास्तव में महत्वपूर्ण है केवल मनुष्य जीवन, और मानव वास्तव में पवित्र है, और एक मनुष्य की हत्या करना मना है...

प्रभुपाद: नहीं, लेकिन यीशु नहीं कहते हैं "मनुष्य" । उन्होंने सिर्फ समान्य तरीके से कहा: "तुम मारोंगे नहीं ।"

योगेश्वर: (फ्रेंच में अनुवाद करते है)

कार्डिनल डेनिलौ: (फ्रेंच में) बाइबिल में कई उदाहरण हैं, उदाहरण का मतलब, कई बलिदान हैं बाइबिल में, पशुओं के बलिदान । आपको पता है । बाइबिल में पशुओं के कई बलिदान । अलोर्स । यह मना नहीं है । अलोर्स, यह निश्चित है कि एक मनुष्य की हत्या करना महान पाप है । अलोर्स निश्चित रूप से युद्ध का महान प्रश्न है, युद्ध, राष्ट्रीय युद्ध । अौर यह...

प्रभुपाद: अाप, अापको लगता है कि एक जानवर को मारना कोई पाप नहीं है ?

कार्डिनल डेनियलौ: नहीं, नहीं, नहीं । कोई पाप नहीं है । कोई पाप नहीं है । कोई पाप नहीं है । क्योंकि हमें लगता है कि साधारण जीवविज्ञान का जीवन बहुमूल्य नहीं है । बहुमूल्य है मनुष्य जीवन, मनुष्य जीवन । लेकिन वह जीवन नहीं...

प्रभुपाद: लेकिन मुझे लगता है कि यह अर्थघटन है । यीशु मसीह आम तौर पर कहते हैं: "तुम मारोंगे नहीं ।"

कार्डिनल डेनिलौ: हाँ, यीशु ने कहा... लेकिन यह वाक्यांश नहीं है, शब्द यीशु के शब्द नहीं है । यह पुराने टेस्टामेंट का एक पाठ है, और यह एक पाठ है...

प्रभुपाद: नहीं, यह नए टेस्टामेंट भी ।

कार्डिनल डेनिलौ: ओल्ड टेस्टामेंट ! ओल्ड टेस्टामेंट ।

प्रभुपाद: नहीं, क्या यह न्यू टेस्टामेंट में नहीं है ?

कार्डिनल डेनिलौ: यह लेविटिक में हैं, लेविटिक में, लेविटिक की पुस्तक में । यह यीशु का शब्द नहीं है । यह लेविटिक का शब्द है, और यह डेकालोग का एक हिस्सा है, दस शिक्षाए जो भगवान नें मोसेस को दिया ।

प्रभुपाद: यह ठीक है। लेकिन दस शिक्षाए, एक शिक्षा है कि: "तुम नहीं मारोगे ।"

योगेश्वर: (फ्रेंच में अनुवाद करते है) |

कार्डिनलौ: (फ्रेंच में) निश्चित रूप से, मुझे लगता है, मनुष्य की हत्या ही है । मुझे लगता है, मुझे बड़ी मुश्किल होती है यह समझने में कि भारतीय धर्म... क्योंकि यह असंभव है... उदाहरण के द्वारा, यह आवश्यक है, (फ्रेंच में) ।

योगेश्वर: भोजन के लिए ।

कार्डिनल डेनियलौ: उई । मनुष्य के भोजन के लिए, भोजन के लिए...

प्रभुपाद: मनुष्य अनाज खा सकता है, अनाज, फल, दूध, चीनी, गेहूं....

कार्डिनल डेनियलौ: नहीं, नहीं (फ्रेंच में) ?

योगेश्वर: मांस नहीं ?

कार्डिनल डेनिलौ: मांस नहीं ?

प्रभुपाद: नहीं | क्यों ? जैसे फल की तरह । फल मनुष्यों के लिए हैं | शेर अापके फलों को खाने के लिए नहीं आता है । तो शेर का भोजन एक दूसरा जानवर है । मनुष्य का भोजन फल, अनाज, दूध की उत्पाद हैं । जैसे फल की तरह...

कार्डिनल डेनिलौ: उई । अनाज और पौधे भी जीव हैं ?

प्रभुपाद: यही ठीक है, यह ठीक है । यह, यह हम भी समझते हैं । लेकिन, अगर आप रह सकते हैं... जैसे अाम तौर पर, अगर मैं फल और अनाज और दूध पर जीवित रह सकता हूं, तो क्यों में एक और जानवर को मारूं ?