HI/660909 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 05:17, 27 July 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"आत्मा वास्तव में व्यक्ति है। जिस प्रकार भगवान् वास्तव में व्यक्तिगत रूप में हैं, उसी प्रकार, क्योंकि हम उस परम पुरुषोत्तम भगवान् के अंश हैं, इसीलिए, अगर "मैं एक व्यक्ति हूँ, तो परम पुरुषोत्तम भगवान् भी व्यक्ति होने चाहिए। भगवान् सब के पिता हैं। अब, यदि मैं पुत्र हूँ — मेरा एक व्यक्तित्व है; मेरी एक वैयक्तित्वता है — तो आप परम पुरुषोत्तम भगवान् के व्यक्तित्व और वैयक्तित्वता को कैसे नकार सकते हैं ? तो यह समझने के लिए बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है।" |
660909 - प्रवचन भ.गी. ६.२१-२७ - न्यूयार्क |