HI/661002 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 11:29, 28 July 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"जब कहीं पर प्रकाश होता है, तो वह प्रकाश अथवा रोशनी भी कृष्ण ही हैं। वास्तविक प्रभा या चमक ब्रह्मज्योति है। वह अध्यात्मिक जगत में है। भौतिक आकाश ढका हुआ है; अत: भौतिक आकाश का स्वभाव अंधकार है। अभी, रात्रि के समय हम भौतिक जगत् का वास्तविक रूप को अनुभव कर रहे हैं — वह है अंधकार। कृत्रिम रूप में वह सूर्य, चन्द्रमा अथवा बिजली से प्रकाशित होता है। अन्यथा, वह अंधकार ही है। इसलिए प्रकाश या रोशनी स्वयं भगवान् हैं।" |
661002 - प्रवचन भ.गी. ७.८-१४ - न्यूयार्क |