HI/750306b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 11:26, 15 April 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"एक आदमी पीलिया के साथ, अगर तुम उसे चीनी की गोली दो, वह भी कड़वी लगेगी। यह सत्य है। पर उसी पुरुष को जो पीलिया रोग से स्वस्थ हो गया है, वह उसे बहुत मीठी लगेगी। उसी प्रकार, भौतिक जगत की स्थिति में बहुत नशा है, हम पूर्णता से जीवन का आनन्द नहीं ले सकते। अगर तुम जीवन का पूर्ण आनन्द लेना चाहते हो, तब तुम्हें आध्यात्मिक पथ पर आना चाहिए। दुखालयम अशाश्वतम (भा.गी ८.१५)। इस भौतिक संसार को भगवद्गीता में दुखालयम कह कर वर्णित किया गया है। यह स्थान दुखों से भरा हुआ है। तब अगर तुम बोलो, "नहीं, मैं व्यवस्था कर चुका हूँ। अब मेरे पास अच्छी, प्यारी धनराशि है। मेरी पत्नी बहुत अच्छी है, मेरे बच्चे भी बहुत अच्छे हैं, तो मुझे परवाह नहीं। मुझे भौतिक संसार में ही रहना होगा।"
कृष्ण कहते हैं अशाश्वतम: "नहीं, भाई। तुम यहाँ नहीं रह सकते। तुम बाहर निकाल दिए जाओगे। "दुखालयम अशाश्वतम। अगर तुम यहाँ रहने के लिए मान जाते हो, जीवन की ऐसी दुखों भरी स्तिथि में, यह भी अनुमति नहीं है। कोई स्थायी समाधान नहीं। तथा देहान्तरप्राप्तिर्।"
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750306 - प्रवचन SB 02.02.06 - न्यूयार्क |