HI/660821 - श्रीपाद् नारायण महाराज को लिखित पत्र, न्यू यॉर्क

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His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda


21 अगस्त, 1966,


26 सेकेन्ड ऐवेन्यू - बी1
न्यू यॉर्क, एन वाय 10003 USA
फोन: 212-674-7428

श्रीपाद् नारायण महाराज,

कृपया मेरे दण्डवत् स्वीकार कीजिए व मेरे आशीर्वाद भी लीजिए।

मैं सोचता हूँ कि अब आप मुझे भूल रहे हैं। मैं तो आपको कभी भी नहीं भूलूंगा, पर मैं देख रहा हूँ कि आप मुझे भूल रहे हैं। आप कैसे हैं। मैं आशा करता हूँ कि आप सब प्रकार से कुशल हैं। अब मैं उपरोक्त पते पर रह रहा हूँ। मुझे लगता है कि सितम्बर के मध्य में मेरा वीज़ा समाप्त हो जाएगा। यदि सरकार अनुमति देती है, तो मैं उसकी अवधि बढ़वाने का प्रयास करुंगा। यहां बहुत अच्छा प्रचार चल रहा है। अमरीकी युवक बहुत सुन्दरता से हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे का जप कर रहे हैं। वे सस्वर कीर्त्तन कर रहे हैं। वे उत्सुकता के साथ गीता व भागवत् सिद्धान्त का श्रवण कर रहे हैं। वे सभी बुरी आदतों का त्याग करके, सदाचार का पालन कर रहे हैं। साथ ही वे महाप्रभु का महाप्रसाद भी ग्रहण कर रहे हैं। ऐसा करने से उनका जीवन सफल बन रहा है(दन्यति धन्य)। जब वे अपने हाथ उठाकर कीर्त्तन करते हैं, तो मुझे भक्तिविनोद ठाकुर की भविष्यवाणी का स्मरण हो आता है और मैं बहुत प्रसन्न हो जाता हूँ। श्रील भक्तिवेनोद ठाकुर ने बड़ी उत्कंठा के साथ लिखा था कि, कब वह दिन आएगा, जब युरोपीय व अमरीकी गोरे लोग, अन्य सभी के साथ मिलकर, उच्च स्वर में महाप्रभु के कीर्त्तन का गान करेंगे। तो अब मैं देख सकता हूँ कि वह दिन आ गया है।

मैं इसके लिए अपना पूरा प्रयास कर रहा हूँ। मैं आपकी सहायता के लिए प्रार्थना भी कर रहा हूँ और उसके साथ यह सुगम हो जाएगा। यदि ये मुझे अनुमति दे देते हैं और मैं यहां पर अधिक अवधि के लिए रह जाता हूँ, तो कृपया निम्नलिखित वस्तुएं भिजवा दीजिएगा। आपकों अवश्य ही इन वस्तुओं को क्रय करना एवं बांधना होगा। मथुरा स्टेशन से इनकी बुकिंग कीजिएगा। यदि जैसे मैं आपको लिख रहा हूँ, उस प्रकार आप जिम्मेदारी लेते हैं तो आपको खरीददारी करके इस सबको बांधना होगा। कितने रुपए लगेंगे, यह बताते हुए आपका पत्र प्राप्त होने पर मैं आपको रुपए भेज दूंगा।

1) एक हाथ लंबी राधा-कृष्ण विग्रह की धातु की जोड़ी(16 इंच)

2) बहुत सुन्दर पोशाक, आभूषण, मुकुट। तीन जोड़े।

3) नवद्वीप से, उच्च कोटी के, दस जोड़े करताल।

4) तीन बढ़िया मृदंग

5) एक ताम्बूरा

6) उच्च कोटी का एक हार्मोनियम

7) पचास हरिनाम मालाएं, कण्ठी मालाएं व माला झोलियां

8) सत् क्रिया सार दीपिका की एक पुस्तक(गोपाल भट्ट गोस्वामी व सनातन गोस्वामी कृत)

यदि आप कोई ऐसा व्यक्ति ढ़ूंढ़ पाएं जो मृदंग बजाने में दक्ष हो और यदि वह यहां आना चाहे, तो आप चाहें तो तो उसे यहां आने को कह सकते हैं। यदि वह राज़ी हो जाए, तो कृपया उसे मेरा पता दे दीजिएगा।

मुझे बताएं कि इस सब का क्या मूल्य है और सामान बंधवाने का क्या खर्च है। मैं आपको वह राशि भेज दूंगा। जैसे ही मुझे आपका पत्र प्राप्त होगा, मैं आपको धन भेज दूंगा। तो मुझे आशा है कि इस बार भी आप मुझे वह सबकुछ भेज देंगे जो मुझे चाहिए और मेरे प्रयास की सहायता करेंगे। मैंने आपसे इतनी सहायता ली है और मैं अनुरोध करता हूँ कि इस बार भी आप इस प्रचार कार्य में मेरी सहायता करेंगे। मैं आपका बहुत आभारी रहुंगा। विग्रह मथुरा अथया वृंदावन से खरीदे जाने चाहिएं। यदि संभव हो तो खोल(मृदंग) एवं करताल नवद्वीप से खरीदे जाने चाहिएं। फिर कलकत्ता से मेरा एजेन्ट इन्हें भिजवा सकता है। मैं जानता हूँ कि इससे कुछ असुविधा होगी। किन्तु मैं जानता हूँ कि आप ये भिजवा देंगे। यह पत्र मिलने पर आपका मुझे अपना उत्तर अवश्य ही देना होगा। मैं ठीक हूँ।

ए.सी.भक्तिवेदान्त स्वामी