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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
अभी जो हमने संकीर्तन किया है, वह दिव्य ध्वनि की लहर है । यह हमारे मन पर चढ़ी धूल की परत को साफ़ करने में सहायता करेगी। सत्य यह है कि यह हमारा मिथ्याबोध है । वास्तव में हम शुद्ध चेतना और शुद्ध आत्मा है तो स्वभाविक है कि हम भौतिक संदूषण से भिन्न हैं । लेकिन दीर्घ काल से भौतिक वातावरण के संपर्क में होने के कारण, हमने बहुत गहरी धूल की परत अपने हृदय पर चढ़ा ली है । जैसे ही यह धूल की परत साफ़ हो जाती है, फिर हम स्वयं के स्वरूप को देख सकते हैं ।
660328 - प्रवचन भ.गी. २.४६-४७ - न्यूयार्क



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