HI/721016 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जब आप सच में भगवान की भावनामृत के प्रचारक बन जायेंगे, तब आप बिलकुल भी समझौता नहीं कर सकते। आपको एक कुदाल को कुदाल कहना ही होगा। जैसे प्रहलाद महाराज। प्रहलाद महाराज महाजनो में से एक हैं। १२ महाजनों में से, वे एक हैं। क्योंकि वे बड़े साहसी थे। वे अपने आसुरी पिता से बिलकुल भय नहीं रखते थे। उनके पिता ने उन्हें कई प्रकार के दंड दिए, किंतु वे कभी भयभीत नहीं हुए। तो वैसे ही ऑस्ट्रेलिया में हमारे लोगो पर भी बड़े अत्याचार किये जा रहे हैं। आपको पता है? उन्हें गिरिफ्तार कर लिया गया क्योंकि वे हरे कृष्ण का प्रचार कर रहे थे। तो यह कुछ आसान या आराम से हो जाने वाली चीज नही है। मेरे गुरु महाराज, भक्तिसिद्धांत सरस्वती गोस्वामी महाराज, उन्हें यह नही पसंद था की उनके शिष्य आरामदायक हों और सस्ते वैष्णव बने।"
721016 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०२.०५ - वृंदावन