HI/730109 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७३ Category:HI/अमृत वाणी - बॉम्बे {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/730109 -BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"तारो की तरह। जैसे हज...")
 
No edit summary
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७३]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७३]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - बॉम्बे]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - बॉम्बे]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/730109 -BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"तारो की तरह। जैसे हजारों करोड़ों तारे, वे कुछ नही कर पाते। एक चांद काफी है। एकश्चन्द्रस् तमो हन्ति न च ताराः सहस्रशः। ( चाणक्य पंडित)
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/730109 -BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"तारो की तरह। जैसे हजारों करोड़ों तारे, वे कुछ नही कर पाते। एक चांद काफी है। एकश्चन्द्रस् तमो हन्ति न च ताराः सहस्रशः। (चाणक्य पंडित)
तो यह कृष्ण चेतना का आंदोलन, यह आवश्यक नही की हर कोई इसका अनुगामी होगा। यह संभव नहीं, क्योंकि यह बहुत कठिन है। किंतु फिर भी, अगर एक अनुगामी, निष्ठावान अनुगामी, है, फिर यह आंदोलन चलता जायेगा। यह चलता जायेगा । कोई इसे नही रोक सकता।"|Vanisource:730109 - Lecture NOD - Bombay|730109 - प्रवचन NOD - बॉम्बे}}
तो यह कृष्ण चेतना का आंदोलन, यह आवश्यक नही की हर कोई इसका अनुगामी होगा। यह संभव नहीं, क्योंकि यह बहुत कठिन है। किंतु फिर भी, अगर एक अनुगामी, निष्ठावान अनुगामी, है, फिर यह आंदोलन चलता जायेगा। यह चलता जायेगा।  कोई इसे नही रोक सकता।"|Vanisource:730109 - Lecture NOD - Bombay|730109 - प्रवचन NOD - बॉम्बे}}

Revision as of 06:11, 14 June 2024

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तारो की तरह। जैसे हजारों करोड़ों तारे, वे कुछ नही कर पाते। एक चांद काफी है। एकश्चन्द्रस् तमो हन्ति न च ताराः सहस्रशः। (चाणक्य पंडित)

तो यह कृष्ण चेतना का आंदोलन, यह आवश्यक नही की हर कोई इसका अनुगामी होगा। यह संभव नहीं, क्योंकि यह बहुत कठिन है। किंतु फिर भी, अगर एक अनुगामी, निष्ठावान अनुगामी, है, फिर यह आंदोलन चलता जायेगा। यह चलता जायेगा। कोई इसे नही रोक सकता।"

730109 - प्रवचन NOD - बॉम्बे