HI/760319 - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७६ Category:HI/अमृत वाणी - मायापुर {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/760319SB-MAYAPUR_ND_01.mp3</mp3player>|"सिर्फ यही एक दवा है...")
 
No edit summary
 
Line 5: Line 5:
एक हरी नामे यतो पाप हरे
एक हरी नामे यतो पाप हरे
पापी हय ततो पाप करी बरे नारे
पापी हय ततो पाप करी बरे नारे
हरे कृष्ण महामंत्र का एक जप इतना शक्तिशाली है की जीवन के सारे पाप कर्म के फल तुरंत गायब हो जाते है।"|Vanisource:760319 - Lecture SB 07.09.41 - Mayapur|760319 - प्रवचन श्री.भा ०७.०९.४१ - मायापुर}}
हरे कृष्ण महामंत्र का एक जप इतना शक्तिशाली है की जीवन के सारे पाप कर्म के फल तुरंत चले जाते हैं।"|Vanisource:760319 - Lecture SB 07.09.41 - Mayapur|760319 - प्रवचन श्री.भा ०७.०९.४१ - मायापुर}}

Latest revision as of 10:46, 30 June 2024

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"सिर्फ यही एक दवा है। रोग से मुक्ति के लिए, यह हरेर नाम एकमात्र दवा है, भवौषधि। औषधि अर्थात दवा। परीक्षित महाराज ने कहा है हरेर नाम, यह हरे कृष्ण का जप, बद्ध जीव के लिए नही है, क्योंकि जैसे ही कोई व्यक्ति हरे कृष्ण महामंत्र जपता है, तुरंत ही वह इस दूषित, संक्रामक स्थिति से मुक्त हो जाता है। एक श्लोक है,

एक हरी नामे यतो पाप हरे पापी हय ततो पाप करी बरे नारे हरे कृष्ण महामंत्र का एक जप इतना शक्तिशाली है की जीवन के सारे पाप कर्म के फल तुरंत चले जाते हैं।"

760319 - प्रवचन श्री.भा ०७.०९.४१ - मायापुर