HI/760318 - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"पूरी वैदिक सभ्यता एक प्रयास है मन को शांत स्थिति में लाने का ताकि "में अपने मन को कृष्ण के चरणारविन्द में लगा सकू।" यह है वैदिक सभ्यता।

स वै मन: कृष्णपदारविन्दयो- र्वचांसि वैकुण्ठगुणानुवर्णने। ( श्री.भा ९.४.१८) यह है... इन्द्रियों को नियंत्रित करने के लिए... मन इन्द्रियों को नियंत्रित करता है। तो सबसे पहले अपने मन को कृष्ण के चरणारविन्द में लगाओ। यह सबसे पहला काम है। तो स वै मन: कृष्णपदारविन्दयो- , र्वचांसि वैकुण्ठगुणानुवर्णने।"

760318 - प्रवचन श्री.भा ०७.०९.०४ - मायापुर