HI/670115 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"जैसे जहां ..., जहां भी सूरज की रोशनी है, वहां अंधेरा नहीं हो सकता। यह एक तथ्य है। आप यह नहीं कह सकते, "ओह, सूरज की रोशनी और अंधेरा, एक साथ दोनों मौजूद हैं।" नहीं। वास्तव में खुली धूप में कोई अंधेरा नहीं हो सकता। ठीक उसी तरह, जैसे ही आप कृष्ण भावनाभावित हो जाते हैं,कोई अंधकार नही हो सकता इस भौतिक दुनिया को समझने में। इसका मतलब है कि जितना अधिक आप कृष्ण भावनामृत में आगे बढ़ते हैं, उतना ही आप इस भौतिक दुनिया की प्रकृति को समझ सकते हैं।" |
670115 - प्रवचन CC Madhya 22.27-31 - न्यूयार्क |