HI/750303 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद डलास में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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Revision as of 05:09, 18 April 2019

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
यदि आप सर्वोच्च, पूर्ण को महसूस करना चाहते हैं, तो आपको एक निश्चित प्रकार कि तपस्या के लिए सहमत होना चाहिए। अन्यथा, यह संभव नहीं है। प्रारंभिक तपस्या — जैसे कि एकादशी; यह भी तपस्या के वर्ग में एक है। दरअसल, एकादशी के दिन हम कोई भोजन नहीं करते हैं, यहाँ तक कि पानी भी नहीं पी सकते। लेकिन हमारे समाज में हम इतनी सख्ती से एकादशी नहीं कर रहे हैं। हम कहते हैं, 'एकादशी पर आप अनाज न लें। सिर्फ थोड़ा फल, दूध लें ’। यह एक तपस्या ही है। तो क्या हम इतनी सी तपस्या नही कर सकते? अगर हम एकादशी जैसे एक बहुत आसानी से किये जाने वाली तपस्या के लिए तैयार नहीं हैं, तो हम भगवद धाम वापस जाने की उम्मीद कैसे कर सकते है ?
750303 - प्रवचन SB 03.12.19 - डलास