HI/670122b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

(No difference)

Revision as of 11:51, 21 April 2019

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
भगवान कृष्ण का रूप , सभी के लिए सभी प्रकार की शुभता प्रदान करता है। "भुवन-मंगलाय ध्याने स्म दरशिता त अपासकानाम।" जो लोग आपको ध्यान में देख रहे हैं ... "ध्यान का अर्थ केवल कृष्ण या विष्णु पर ध्यान केंद्रित करना है। यही ध्यान कहलाता है। मुझे नहीं पता ... आजकल बहुत से ध्यानी हैं, लेकिन उनका कोई उद्देश्य नहीं है। वे बस कुछ अवैयक्तिक, अप्रमेय चीज पर ध्यान करने की कोशिश करते हैं। ऐसे ध्यान कि भगवद गीता में निंदा की जाती है कि 'क्लेशो 'धिकतरस तेशाम् अव्यक्तासक्त-चेतसाम्'। (BG 12.5). जो लोग उस अवैयक्तिक शून्य का ध्यान करने की कोशिश कर रहे हैं, मेरा कहने का मतलब है,वे बस अनावश्यक परेशानी ले रहे हैं। अगर आप ध्यान करना चाहते हैं, तो बस कृष्ण या परमात्मा का ध्यान करें।
670122 - प्रवचन CC Madhya 25.31-38 - सैन फ्रांसिस्को